महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित आदिकाव्य रामायण में उल्लेख आता है कि रावण ने सरलता से देवी सीता का हरण करने व उन्हें लक्ष्मण रेखा से बाहर लाने के लिए संत का वेश धारण किया। लक्ष्मण रेखा, वह अभिमंत्रित रेखा थी जो सुमित्रानंदन ने श्रीराम व स्वयं की अनुपस्थिति में माँ सीता के रक्षण हेतु निर्मित की थी। संत वेश में रावण द्वारा बारम्बार आग्रह करने पर देवी सीता ने स्वयं ही उस रेखा को पार किया और तब रावण ने उनका हरण कर लिया। इस घटना में महत्वपूर्ण आध्यात्मिक रहस्य निहित है। ऐसे ही अनेक आध्यात्मिक रहस्यों को 22 अप्रैल 2018 से 28 अप्रैल 2018 तक पानीपत, हरियाणा में आयोजित श्रीराम कथा के माध्यम से उजागर किया गया।
कथा का वाचन करते हुए साध्वी श्रेया भारती जी ने उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष देवी सीता के हरण में निहित आध्यात्मिक तथ्य को रखा। देवी सीता भक्ति स्वरूप है और भगवान राम ब्रह्मज्ञान के प्रतीक है। उन्होंने समझाया कि ब्रह्मज्ञान के अभाव में कई बार भक्ति सही और गलत का निर्णय करने में चूक जाती है। इस घटना का एक अन्य अर्थ भी है जो आज के परिदृश्य में अधिक प्रासंगिक है। वर्तमान समय में ऐसे कई लोगों है जिनके जीवन में अध्यात्म का अभाव होने पर भी वह आध्यात्मिक जाग्रति का दावा करते है। ऐसे लोग शास्त्रानुकूल प्रमाणित अध्यात्म के स्थान पर भक्ति की नयी रीतियों से समाज को भ्रमित करते है। मानव में देवी सीता के समान भक्ति तो निहित है, परन्तु वह श्रीराम रूपी आध्यात्मिक ज्ञान से विलग है। इसलिए मात्र बाहरिय चमत्कारों से प्रभावित हो उसे ही अध्यात्म जाग्रति मान लेते है।
यहाँ एक प्रश्न अनिवार्य है कि कैसे ज्ञात हो कि अमुक व्यक्ति आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध है और हमें भी आध्यात्मिक रूप से जागृत करने में सक्षम है? भगवान् विष्णु के अवतार श्रीराम ने आध्यात्मिक गुरू ऋषि वशिष्ठ जी द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्त किया। ब्रह्मज्ञान, वह तकनीक है जिसके द्वारा हम अपने भीतर परम तत्व- ईश्वर का साक्षात्कार कर सकते है। इस ज्ञान द्वारा हम न केवल स्वयं के लिए अपितु अन्यों के लिए भी उचित चयन करने में सक्षम हो पाते है। इसी ज्ञान के अभाव में श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण को यह आज्ञा प्रदान की ताकि वह उनकी अनुपस्थिति में देवी सीता को अकेले न छोड़े। परन्तु लक्ष्मण जी को परिस्थितियाँ के कारण माँ सीता की सुरक्षा हेतु लक्ष्मण रेखा का निर्माण कर वहां से जाना पड़ा और रावण द्वारा सीता जी का हरण हो गया।
आज हमें भी आध्यात्मिक रूप से जागृत सच्चे गुरू की आवश्कता है। एक पूर्ण सतगुरु हमारे भीतर अनंत ज्ञान के भंडार को उजागर करते है। जीवन में इसी ब्रह्मज्ञान द्वारा विवेक को प्राप्त का उचित निर्णय द्वारा समस्याओं से मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है। वर्तमान समय में जिज्ञासु ब्रह्मज्ञान प्रदाता सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा इस ज्ञान को प्राप्त कर सकते है।