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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा पंजाब के नाभा शहर में 30 नवंबर से 4 दिसंबर 2022 तक श्री कृष्ण कथा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से कथावक्ता साध्वी रूपेश्वरी भारती जी ने भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य उपदेशों की बारीकी से समीक्षा की। निरंतर बदलती दुनिया में विवेक के साथ कार्य करने के लिए प्रत्येक मनुष्य के लिए ये शिक्षाएं आज समय की मांग बन चुकी है।

Divine Message of seers for a purposeful living through the Shri Krishna Katha at Nabha, Punjab

साध्वी जी ने द्वापर युग के पुनर्जागरण में श्री कृष्ण की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पूर्ण अवतार श्री कृष्ण ने भगवत गीता में पृथ्वी पर अपने अवतरण के उद्देश्य को प्रकट किया। यही नहीं, श्रीमद्भगवत गीता, आज के मानव के लिए 18 अध्यायों का एक ऐसा सुंदर रोड मैप है जिसका उपयोग प्रत्येक मनुष्य द्वारा अपने व्यक्तित्व के गठन के लिए किया जा सकता है। भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने केवल अर्जुन को ही नहीं, बल्कि प्रत्येक मानव को जीवन के वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग को स्पष्ट किया है।

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि आध्यात्म को जीवनशैली में तब ही उतारा जा सकता है जब व्यक्ति को आत्मसाक्षात्कार का दिव्य विज्ञान प्राप्त हो। जिसने आध्यात्म को समझ लिया है, वह मन की किसी भी अस्थिर स्थिति से बिल्कुल मुक्त है। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिव्य ज्ञान, ब्रह्मज्ञान प्रदान कर उसे कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में अपने कर्तव्य का बोध करवाया। जिससे उसका अस्थिर व अशांत मन पूरी तरह से शांत हो गया| उसे युद्ध पर ध्यान केंद्रित करने और अपने अहंकार व मोह के दोषों को त्यागने में मदद मिली।

Divine Message of seers for a purposeful living through the Shri Krishna Katha at Nabha, Punjab

साध्वी जी ने कहा कि भगवान कृष्ण की तरह ही आज श्री आशुतोष महाराज जी दुनिया भर में अपने लाखों शिष्यों को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर रहे हैं। ब्रह्मज्ञान दो भौंहों के बीच स्थित तीसरे नेत्र के माध्यम से दिव्य प्रकाश की तत्क्षण प्रत्यक्षानुभूति है। ज्ञान प्राप्ति के समय शिष्य प्रकाश को देखता है और इस प्रकार ध्यान की शाश्वत तकनीक का शुभारम्भ हो पाता है।

कृष्ण कथा कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पंजाब के सभी क्षेत्रों से भक्त एकत्रित हुए। आत्मिक शांति व आनंद प्रदान करने वाले सुमधुर भजन व भक्ति संगीत, इस कार्यक्रम के कुछ मुख्य आकर्षण रहे। सभी प्रस्तुतकर्ता और स्वयंसेवक आध्यात्मिक रूप से श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा दीक्षित व जागृत जन थे और इस ज्ञानवर्धक कथा को इस क्षेत्र तक लाने के उनके प्रयासों की सभी उपस्थित लोगों ने खूब प्रशंसा की।

कथा पंडाल के बाहर विभिन्न स्टालों पर उपस्थित सभी स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं ने अपनी नि:स्वार्थ सेवाएं अर्पित की। स्टालों में, डीजेजेएस के विभिन्न सामाजिक परियोजनाओं जैसे नेत्रहीन व विकलांग वर्ग की सहायतार्थ- 'अंतर्दृष्टि' और कैदियों के लिए चलाया जा रहा 'बंदी सुधार व पुनर्वास कार्यक्रम - अंतरक्रांति' के बेहतरीन उत्पाद मौजूद थे।

आए हुए भक्त श्रद्धालुओं के सामने सभी स्वयंसेवक उत्साह के साथ ब्रह्मज्ञान का प्रचार-प्रसार करते नज़र आए। इनमें से कुछ स्वयंसेवक ब्रह्मज्ञान और सेवा के अपने व्यक्तिगत अनुभव भी सांझा करते दिखाई दिए।

कथा में भाग लेने वाले भक्तों ने डीजेजेएस के आयोजकों और स्वयंसेवकों की प्रशंसा की। उन्होंने ब्रह्मज्ञान के इस दिव्य मार्ग के प्रति अपनी गहरी रुचि भी व्यक्त की।

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