यज्ञ शब्द का अर्थ है जोड़ना, पूजा करना या प्रदान करना आदि। हमारे वैदिक साहित्य यानि यजुर्वेद में यज्ञ के महत्व का वर्णन किया गया है। उचित रीति से किए गए यज्ञ द्वारा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही यज्ञ में निहित दर्शन हमें उचित जीवन शैली का तरीका सिखाता है जो उच्च मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाला है। डीजेजेएस द्वारा ब्रिस्बेन और पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में 9 मई, 2021 को गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में “विश्व शांति महायज्ञ” कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जीवन की चुनौतियों का सामना करने व मौजूदा प्रतिकूल माहौल को देखते हुए, न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि समग्र रूप से मानव समाज की मानसिक स्थिति को सकारात्मक करने के लिए यज्ञ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यज्ञ एक उपचार प्रक्रिया के रूप में कार्य करता है जो वातावरण से रोगजनक विषाणुओं को मिटा देता है। यजुर्वेद के अनुसार यज्ञ में अर्पित की गयी आहुति का उद्देश्य सभी का कल्याण करना है। जब ब्रह्मज्ञानी द्वारा निस्वार्थ भाव से भगवान के शाश्वत नाम से जुड़कर यज्ञ किया जाता है, तो सम्पूर्ण प्रकृति में शांति व समृद्धि का विस्तार करता है।
यज्ञाग्नि का पवित्र धुआँ सभी बुरे प्रभावों को समाप्त कर वातावरण से नकारात्मकता को समाप्त कर शांति, सुख और स्वास्थ्य का प्रसार करता है। सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्यों द्वारा वैदिक मंत्रों के पाठ के साथ-साथ विश्व शांति हेतु किए गए यज्ञ ने वातावरण में सकरात्मकता का विस्तार किया।
इस आयोजन में यज्ञ के विभिन्न पक्षों को उजागर करते हुए स्वार्थ भावनाओं का त्याग कर, सर्व-कल्याण की भावना की महत्ता को प्रगट किया गया। वर्तमान समय में जहाँ दुनिया में हर ओर भय और दुःख का संचार है वहीँ यज्ञ द्वारा इस विकट समय से पार पाने हेतु उत्साह का वर्धन हुआ और साथ ही माँ प्रकृति के प्रति कृतज्ञता की भावना को भी व्यक्त किया गया।