भगवान शिव के दिव्य ग्रन्थ- ‘शिव महापुराण’ से आध्यात्मिक मोतियों का प्रसार करने हेतुगुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की अगाध कृपाएवं आशीर्वाद से, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 24-30 नवंबर 2024 तक बेंगलुरु, कर्नाटक में 'भगवान शिव कथा' का आयोजन किया गया। सात दिवसीय शाश्वत गाथा केदौरान, डॉ. सर्वेश्वर जी ने भगवान शिव के तत्वज्ञान के पीछे के दिव्य विज्ञान का भक्तों के विशाल समूह के लिए सरल अनुवाद किया। अन्य शिष्यों द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण मधुरसंगीत ने कार्यक्रम देख रहे दर्शकों को मंत्रमुग्ध और प्रेरित किया।

डॉ. सर्वेश्वर जी ने बताया कि भगवान शिव ब्रह्मांड की सर्वव्यापी ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीकहै। जीवन जीने की असली कला सीखने के लिए हमें भगवान शिव के दर्शन शास्त्र केआदर्शों का अपने जीवन में अनुसरण करना चाहिए। शिव हमें जो आधारभूत मौलिक सूत्रसिखाते हैं, वह है अपने अहंकार का नाश करना और अज्ञान से ऊपर उठना। प्रभु की पवित्रकाया पर सुसज्जित प्रत्येक पवित्र प्रतीक हमें हमारे जीवन को पूर्ण करने के दिव्य पथ केबारे में कुछ न कुछ सिखाता है।
उन्होंने प्रसन्नतापूर्वक कहा कि हमारे सभी हिंदू धर्म ग्रंथों और पवित्र पुस्तकों के अनुसारभगवान शिव को 'पूर्ण गुरु' कहा गया है। ईश्वरीय ज्ञान के प्राप्त होने से दिव्य ज्ञान का सारप्रकट होता है जो श्रेष्ठ चेतना की ओर ले जाता है। भगवान शिव के प्रतीकों में से एक-शिवलिंग (लिंगम), निराकार ईश्वरीय सिद्धांत का प्रतिनिधित्व करता है। भगवान शिव केमाथे पर स्थित तीसरी आंख एक रहस्यमय प्रतीक है और इसे आध्यात्मिक जागृति व ईश्वर के दर्शन का माध्यम माना जाता है। समय के पूर्ण गुरु द्वारा तीसरी आंख का जागरणसामान्य दृष्टि से परे की अनुभूति प्रदान करता है। यह वह द्वार है जो आंतरिक जगत की ओरले जाता है।

कथा व्यास जी ने अंत में कहा कि ब्रह्मज्ञान की अग्नि में पापों और विकारों को जलाने औरप्रभु के शाश्वत नाम का अभ्यास करने वालों को अनन्त आनंद और अनन्त शांति की प्राप्ति होती है। भगवान शिव गहरी ध्यान मुद्रा में बैठते हैं जो हमें भी उसी ब्रह्म ज्ञान की ध्यान साधना की ओर प्रेरित करती है। बस जरूरत है एक सच्चे गुरु की संगत की। श्री आशुतोषमहाराज जी वर्तमान समय में ऐसी ही भूमिका का निबंधन कर रहे हैं। ब्रह्मज्ञान आधारितगहन ध्यान के माध्यम से, कोई भी अपनी बाहरी इंद्रियों से परे अपनी चेतना की उत्कृष्टअवस्था को प्राप्त कर सकता है।
डॉ. सर्वेश्वर जी ने इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले आध्यात्मिक जिज्ञासुओं को आध्यात्मिकउन्नति का मार्ग स्पष्ट किया और एक नए उत्साह के साथ भगवान शिव की सच्ची पूजा केप्रतीक स्वरुप आत्म-बोध के पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया।