समाज के अध्यात्मिक संरक्षकों ने समाज को बड़ती पर्यावरण समस्या के संदर्भ मे जागरूक करने का बीड़ा उठाया। श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संचालित एवं संस्थापित, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने अपने पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प- संरक्षण के अंतर्गत 12 नवम्बर 2019 को दीक्षा भवन, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में प्रकृति संरक्षण हेतु समर्पित एक विशेष सामाजिक- सांस्कृतिक व अध्यात्मिक कार्यक्रम - ’ॐ द्यौः शान्ति’ का आयोजन किया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प- संरक्षण व दीनदायल उपाध्याय गोरखपुर विश्व विद्यालय के राजनीति विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का उदेश्य समाज को एक बार फिर वेद कालीन भारत के अति उन्नत संरक्षण सिद्धांतों से अवगत करना था।
दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति, श्री वी.के. सिंह जी व दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के राष्ट्रीय सचिव, स्वामी नरेन्द्रनन्द जी की अध्यक्षता मे आयोजित इस कार्यक्रम मे संसद सदस्य, दुमरियागंज व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश श्री जगदंबिका पाल जी मुख्य अतिथि के रूप मे सम्मिलित हुए। साथ ही गोरखपुर के महापौर श्री सीता राम जैसवाल जी; श्री पुष्पदंत जैन जी, प्रदेश उपाध्यक्ष, व्यापारी कल्याण बोर्ड, उ॰प्र॰; डॉ॰ कौशतुभ जी, एस॰पी॰, गोरखपुर; श्री आर॰के॰ श्रीवास्तव जी, ए॰डी॰एम॰, गोरखपुर, श्री के॰के॰ शुक्ल जी, ऐ॰ई॰जी॰, गोरखपुर; श्री एच॰ के॰ शुक्ला जी, डी॰आई॰जी॰ (Registration), देहारादून; श्री सुभाष जी, गोरक्ष प्रांत प्रचारक, आर॰एस॰एस; श्री प्रदीप पांडे जी, गोरक्ष प्रांत संगठन मंत्री, वी॰एच॰पी॰; प्रोफेसर गोपाल प्रसाद जी, विभागाध्यक्ष (रजनीति विज्ञान), दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर; श्री पी॰के॰ मल जी, प्रदेश महामंत्री, हिन्दू युवा वाहिनी; श्रीमति सुधा मोदी जी, फ़ौंडिंग अध्यक्ष, अग्रवाल महिला मण्डल , गोरखपुर; श्री अशोक जायसवाल जी, समाज सेवी, गोलघर और श्री प्रवीण श्रीवास्तव जी, समाज सेवी आदि विशेष अतिथि भी कार्यक्रम मे सम्मिलित हुए।
पर्यावरण संरक्षण हेतु वैदिक विज्ञान की जाग्रति का आवाहन करता यह कार्यक्रम ज्ञान विज्ञान और मूधर संगीत से ओत प्रोत – एक पावन भजन संध्या से प्रारम्भ हुआ । संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी मणिमाला भारती जी ने भजन संध्या का मंच संचालन करते हुये उपस्थित अतिथियों को वेद उक्त शांति मंत्र- ’ॐ द्यौः शान्ति’ का गूढ अर्थ समझाया एवं प्राचीन भारत को अति उन्नत बनाने वाले व मानव को चिरस्थाई शांति प्रदान करने वाले महान ज्ञान- ब्रह्मज्ञान के संदर्भ मे विस्तार से बताया। तत्पश्चात सभी अतिथियों ने भारतीय संस्कृति की पुण्य दीप प्रजावलन की परंपरा को सम्पन्न किया।