धियां दी लोहड़ी एक ऐसा पारिवारिक मुहावरा बन गया है, जो बेटी के जन्म के पारंपरिक त्योहार को समर्पित है। हालाँकि, आत्म-जागृति के बिना उनके जन्म को लेकर त्योहार मनाने से परिवर्तन का वादा नहीं किया जा सकता। इसी के साथ ही डी.जे.जे.एस. संतुलन अपने वार्षिक अभियान - 'कन्या बचाओ' के तहत 10 जनवरी से 26 जनवरी, 2023 तक हर संभव माध्यम से समाज की मानसिकता को बदलने का प्रयास कर रहा है।
इस 20-दिवसीय अखिल भारतीय कन्या बचाओ अभियान का उद्देश्य लिंग भेदभाव से ऊपर उठ प्रत्येक बच्चे के जन्म पर खुशी को बढ़ावा देना है। इस मुहीम के अंतर्गत पिछले लगभग 12 वर्षों से विभिन्न शहरों में विभिन्न प्रकार की संवेदनशील गतिविधियों के साथ जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और हजारों लाभार्थी हुए हैं ।
यह अभियान हल्दी-कुमकुम, पतंगबाजी, पॉट-लक, लोहड़ी, लोक नृत्य और कई अन्य रोचक गतिविधियों के साथ बेटियों को बचाने के आयाम को प्रदान करता है। संतुलन की विचारधारा और लैंगिक समानता दृष्टिकोण, एक बच्चे के आने वाले आनंद और खुशी पर जोर देना, एक लड़की होने के बारे में सदियों पुराने मिथकों और गलत धारणाओं को तोड़ना, ये सभी मिलकर एक ज्ञानवर्धक आध्यात्मिक प्रवचन बनाते हैं जो दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्यों द्वारा दिया जाता है। साध्वी जी ने बताया कि बेटी पैदा करने के सकारात्मक पहलुओं तक ही सीमित न रहते हुए इस बात पर भी प्रकाश डाला कि अगर ही नहीं बचीं तो समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा। इससे पहले कि लड़कियों की स्थिति खतरे के साथ विलुप्त ही हो जाए, यह समय की मांग है कि हम प्रयास करें, ताकि समानता के सपने को साकार किया जा सके, जो हर बेटी देखती है।
डी.जे.जे.एस. संतुलन लोगों से अभियान में शामिल होने, नेक कार्य के लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने और इस प्रकार विश्व स्तर पर बेटियों के लिए महत्व को जागृत करने का आग्रह कर रहा है।
बालिका लोहड़ी का चलन अब एक अस्पष्ट शब्द बन चूका है, और पिछले एक दशक से कई संस्थानों द्वारा इसका पालन किया जा रहा है।
हर्षित के साथ साथ संवेदनशील लोहड़ी उत्सव कार्यक्रमों की झलक पाने के लिए बने रहें!