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आरोग्य – सम्पूर्ण स्वस्थ्य प्रकल्प के अंतर्गत, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्वाँस से सम्बंधित रोगियों के लिये विशेष तोर पर “शरद पूर्णिमा आयुर्वेदिक उपचार शिविर” का आयोजन 13 अक्टूबर 2019, रात्रि 7 बजे से सुबह 5 बजे तक किया गया। इस शिविर में दमा, पुरानी खांसी, नजला, एलर्जी, श्वाँस से सम्बंधित अन्य रोगों के इलाज़ हेतु वेदिकालीन आयुर्वैदिक पद्दति द्वारा निर्मित औषधियुक्त खीर रोगियों को खिलाई जाती है। पिछले डेढ़ दशक से प्रति वर्ष हज़ारों लोग इन शिविरों के  माध्यम से लाभान्वित होते रहे हैं। प्रत्येक वर्ष कि भांति इस वर्ष भी संस्थान ने देशभर में स्थित विभिन्न आश्रमों में इस शिविर का आयोजन किया : पंजाब में नूरमहल व डबवाली मल्कों की, कुरुशेत्र, हरियाणा में; दिल्ली में दिव्यधाम आश्रम; महाराष्ट्र में चाकन, नागपुर, अमरावती और लातूर; राजस्थान में जयपुर और जोधपुर; सहरसा, बिहार, उत्तराखंड में देहरादून और पिथोरागढ़; मध्य प्रदेश में भोपाल और ग्वालियर; बेंगलुरु, कर्नाटका; उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और बरेली ।

DJJS Sharad Purnima Ayurvedic Treatment Camp extends cure for Asthma

अश्विन मास की शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के सर्वाधिक नजदीक होने के कारण इसकी  किरणों का प्रभाव अमृत तुल्य होता है। आयुर्वेदाचार्य भी इस बात की पुष्टि करते है कि शरद पूर्णिमा में शरीर, मन और आत्मा को सुद्रढ़ करनें वाले औषधीय गुण होते हैं। इसी कारण पुरे दिन उपवास रखकर रात में, खुली चांदनी में मिट्टी या चांदी के बर्तन में पकाई एवं रखी गई खीर का सेवन किया जाता है। यह खीर सर्दियों की शूरुवात के साथ बढ़ने वाले पित रोग के प्रभाव को शांत करती है। शिविर में उपस्थित लोगों को आयुर्वैदिक चिकित्सक ने जागरूक करते हुए बताया कि किस प्रकार शरद पूर्णिमा की रात आयुर्वैदिक औषधियुक्त खीर का सेवन करने और साथ में उचित परहेज रखने से दमा, खांसी व अन्य श्वांस सम्बंधित रोग हमेशा के लिये दूर हो जाते हैं। साथ ही संस्थान के प्रतिष्ठित प्रचारकों ने इस दिन के महान आध्यात्मिक महत्व से अवगत कराया और इसलिए संस्थान प्रतिवर्ष इस त्यौहार के आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और चिकित्सीय गूणों को पुनर्जीवित करने के आशय से इस शिविर का आयोजन करता है।

इस वर्ष भी शिविर में बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओं, बच्चों और नियमित रूप से आने वाले लाभार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुवात सामूहिक प्रार्थना और भजन के साथ की गई। रात भर जागने की व्यवस्था हेतु  सांस्कृतिक व आध्यात्मिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गए। साथ ही मरीजों को आयुर्वैदिक दवाओं के समग्र लाभ पर भी जागरूक किया गया। शिविर में आयुर्वैदिक डॉक्टरों द्वारा सभी रोगों के लिये मुफ्त परामर्श और बुनयादी स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराई गयी।

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