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सत्य को सदैव चार चरणों से गुज़रना पड़ता है - उपेक्षा, उपहास, विरोध और अंततः स्वीकृति। उसे स्थापित होने के लिए एक लम्बे संघर्ष का सामना करना ही पड़ता है -  यह कथन गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी अपने प्रवचनों में कहा करते है। इसी मंतव्य को भगवान बुद्ध के जीवन चरित्र के माध्यम से कुम्भ मेला, प्रयागराज में 13 फरवरी 2019 को  डीजेजेएस द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसे स्कूल एवं कॉलेज के छात्र- छात्रों द्वारा विशेष रूप से सराहा गया।

Inspirational Theatre on Mahatma Buddha Showing Divine Path at Kumbh Mela, Prayagraj

महात्मा बुद्ध के सामने सत्य के प्रचार प्रसार में आयी चुनौतियों को बहुत प्रभावशाली तरीके से नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। उनके मार्ग की सबसे बड़ी रूकावट कोई और नहीं अपितु स्वयं  उनका  चचेरा भाई देवदत्त  था। एक समय जब महात्मा बुद्ध कुछ समय के लिए संघ से बाहर गए उस समय उसने संघ के भिक्षुओं को बहला फ़ुसला कर संघ विभाजन  का असफल प्रयास किया था। केवल इतना ही नहीं उसने एक आक्रामक हाथी भेजकर बुद्ध को मारने का प्रयास किया तथापि बुद्ध के निकट पहुंच उनके प्रभाव के आगे वो हाथी बिल्कुल शांत हो गया। अंत में जाके देवदत्त ने महात्मा बुद्ध को गुरु स्वीकार करते हुए आध्यात्म का मार्ग अपनाया।

इस नाटिका को सार रूप में साध्वी परमा भारती जी ने बताया कि वर्तमान समय में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी एवं उनके शिष्यगण ठीक इसी तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।  आज डीजेजेएस ने  भगवान बुद्ध की ही भांति इस अनमोल निधि ब्रह्मज्ञान का प्रचार प्रसार के साथ अज्ञानता के विरूद्ध  एक आध्यात्मिक क्रांति का बिगुल बजाया है। अथाह विरोध के उपरांत भी श्री महाराज श्री की ये गहन समाधि इस महान लक्ष्य के प्रति उनके समपर्ण का प्रमाण है। उनका सम्पूर्ण जीवन समर्पित  है धूं- धूं  जलते इस विश्व को आध्यात्म की शीतल फुहारों से सींचने में। आज के समय में जहाँ व्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति के लिए हर कार्य किये जा रहे हैं यह कथन अतिश्योक्ति के समान प्रतीत होता है। केवल एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु के जीवन में आने के बाद इंसान का दिव्य चक्षु जब खुलता है तभी वहजीवन की वास्तविकता को समझ आत्म उन्नति की ओर अग्रसर हो पाता है।  साध्वी जी ने आह्वान किया उन सभी जिज्ञासुओं का जो इस ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर आध्यात्म की ओर अग्रसर होना चाहते है।

Inspirational Theatre on Mahatma Buddha Showing Divine Path at Kumbh Mela, Prayagraj

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