दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 4 मई 2025 को दिव्य गुरु श्री आशुतोषमहाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की असीम कृपा से नूरमहल आश्रम, पंजाब में साधना शिविर का आयोजन किया गया। यह भव्य आयोजन जालंधर, पंजाबशाखा द्वारा आयोजित किया गया। इस साधना शिविर में 800 ब्रह्मज्ञानी साधकों नेसक्रिय रूप से भाग लिया, जिसका उद्देश्य विश्व शांति की स्थापना हेतु दिव्य ऊर्जा का एकविशाल प्रवाह उत्पन्न करना था।

डीजेजेएस के प्रचारकों ने इस दिव्य आयोजन का संचालन किया जहाँ हज़ारों साधक एकछत के नीचे एकत्र हुए। कार्यक्रम का शुभारम्भ दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के श्रीचरणों में प्रार्थना एवं श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए किया गया| साधकों को ध्यान करने हेतुउचित आसन में बैठने के लिए प्रेरित किया गया। इस दौरान पावन भक्ति गीतों का गायनभी किया गया, जिससे साधकों को अपने सांसारिक विचारों से हटकर भीतर की दिव्यता परएकाग्र होने में बहुत सहायता मिली। जैसे ही मन विचारशून्य होता है, साधक ध्यान कीगहन अवस्था का अनुभव करता है।
आज के युग में, जहाँ मानव ने आधुनिक तकनीकें, उपकरण और पूर्वानुमान लगाने वालेअनेक साधन विकसित कर लिए हैं, फिर भी जनसाधारण अनेक अनिश्चितताओं, चिंताओंऔर मानसिक अवरोधों से घिरा हुआ है। हम सारी भौतिक सुख-सुविधाएँ जुटाने में सक्षमहो गए हैं, फिर भी मानसिक शांति की खोज में भटक रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार, शांति औरआनंद का भंडार हमारे भीतर है, जिसे हम भूलवश बाह्य जगत में खोज रहे हैं। शास्त्र भीएक स्वर में कहते हैं कि केवल एक पूर्ण गुरु ही उस गूढ़ विधि को प्रदान कर सकते हैंजिससे हम अंतर्मुखी होकर उस दिव्य आनंद, शांति, संतोष और परमानंद की अनुभूति करसकें।

पूर्ण गुरु अपनी दिव्य कृपा से अपने शिष्यों को दीक्षा के समय ब्रह्मज्ञान प्रदान करते हैं।यह ज्ञान, जो शास्त्रों में “विद्याओं का राजा”, शाश्वत, वैज्ञानिक, व्यावहारिक, गोपनीयतम, शुद्ध, अनंतकालिक, आनंददायक और आत्म-साक्षात्कार की सीधी अनुभूति कराने वालाकहा गया है, इसे ही ब्रह्मज्ञान कहा गया है। यह वही शाश्वत मार्ग है, जिससे साधक आत्मातक पहुँचकर अपने वास्तविक लक्ष्य को जान पाता है। जब शिष्य इस दिव्य ज्ञान परध्यान साधना करता है, तो वह शांति और आनंद की शुद्धतम अवस्था का अनुभव करता है।
ऐसे शिविर का आयोजन, जहाँ अनेक जागृत साधक एक साथ ध्यान करते हैं, साधकों कीएकाग्रता को गहराई देता है, सकारात्मक ऊर्जा का सामूहिक निर्माण करता है, वातावरणको पवित्र करता है, आत्मा का उत्थान करता है और अंततः संपूर्ण विश्व में शांति कीस्थापना में सहयोग करता है।