संस्कृत भाषा भारत की सभ्यता से जुडी हुई है I संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं अपितु एक संस्कारित भाषा भी है, अतः इसका नाम संस्कृत है I किन्तु वर्तमान समय में संस्कृत भाषा का अलोप होता जा रहा है I संस्कृत भाषा की महत्ता को भली प्रकार जानते हुए एवं भारतीय होने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि हम अपनी भारतीय गरिमा की रक्षा करें I वर्तमान समय में संस्कृत भाषा को पुनः व्यवहार में लाने के लिए देश में अनेक प्रयास कार्यरत हैं जिनमें दिव्य ज्योति वेद मंदिर भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है I
दिव्य ज्योति वेद मंदिर भारतीय वैदिकी संस्कृति के पुनरुथान एवं संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार कार्यों में संलग्न हैं I इसी क्रम में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के पावन मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा जून माह की 16 तारीख से लेकर 25 तारीख तक दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की दिल्ली में स्थित तीन शाखायों- पीतमपुरा, नेहरु प्लेस एवं द्वारका में दस दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें विविध क्रीडायों व स्पर्धायों के माध्यम से संस्कृत भाषा को रोचक व सरल ढंग से सिखाया गया I इस शिविर में लगभग 250 विद्यार्थियों व संस्कृत प्रेमियों ने भाग लिया I विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा का सरल ज्ञान दिया गया जिससे कि वे रोज़मर्रा की जिंदगी में संस्कृत भाषा का प्रयोग कर सकें I इस शिविर में संस्कृत भारती ने शिक्षकों को उपलब्ध कराकर सहयोगी संस्थान के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है I
इन शिविरों का समापन समारोह दिनाक 26 जून को किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि थे- प्रो. डॉ. संतोष शुक्ला जी ( जे.एन.यू. ), देवकीनंदन जी-रामकृष्णपुर विभाग संयोजक ( संस्कृत भारती ), श्री सतीश महेश्वरी जी (आर.एस.एस. ), श्री विनायक हेगड़े जी - प्रान्त संपर्क प्रमुख, संस्कृत भारती, दिल्ली, डॉ. विजय सिंह-शिक्षण प्रमुख , संस्कृत भारती, दिल्ली, श्रीमान अशोक कुमार जी -प्रांत कार्यकारिणी सदस्य, संस्कृत भारती, डॉ. एस.एस. गोयल जी – पूर्व प्रिंसिपल डायरेक्टर, हिन्दू कॉलेज, पानीपत, हरियाणा व श्रीमान अशोक जी – कार्यकारिणी सदस्य, संस्कृत भारती I
दस दिवसीय संस्कृत शिविर के समापन समारोह में विविध गतिविधियाँ जैसे संस्कृत गीत, संभाषण, सुभाषित, नाट्य मंचन, प्रतियोगिताएं, भाषा क्रीड़ायें इत्यादि में छात्रों ने भाग लिया और यह सम्पूर्ण कार्यक्रम संस्कृत में ही किया गया| दस दिन के इस शिविर में जहाँ सभी को संस्कृत का सरल ज्ञान उपलब्ध कराया गया वहीं इसकी महत्ता के बारे में भी अवगत कराया गया कि संस्कृत केवल मात्र एक भाषा नहीं अपितु संस्कृति एवं संस्कारों का भी पूरक हैI
अंत में सभी विद्यार्थियों को दिव्य ज्योति वेद मंदिर द्वारा प्रमाण पत्र दिए गये जिसके उपरांत प्रसाद वितरण किया गया I संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में इस सराहनीय प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा की गयी।