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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

Shri Krishna Katha a Conduit to Flow Nectar of Divinity to Masses at Karnal, Haryana

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्‌।

Shri Krishna Katha a Conduit to Flow Nectar of Divinity to Masses at Karnal, Haryana

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥

 

हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब- तब ही मैं अपने रूपको रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ॥

साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ॥

 

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा हरियाणा के जिला करनाल, निलोखखेरी में 27 जून से 1 जुलाई 2018 तक आयोजित श्री कृष्ण कथा ने समाज से व्याप्त बुराई को समाप्त करने हेतु ब्रह्मज्ञान की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला। यह अवसर भक्तों के जीवन में मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि इसके माध्यम से उन्होंने जीवन की सत्यता को जाना। सर्वश्री आशुतोष महाराज जी की कृपा द्वारा उनकी शिष्या साध्वी रुपेश्वरी भारती जी ने कथा का वाचन किया। उन्होंने श्री कृष्ण की दिव्य लीलाओं और संदेशों में निहित गूढ़ तथ्यों को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया।

कथा का आरम्भ सैकड़ों लोगों द्वारा मंगल कलाश यात्रा से हुआ जिसके माध्यम से उन्होंने क्षेत्रवासियों को कार्यक्रम में आने हेतु आमंत्रित किया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के निःस्वार्थ स्वयंसेवकों ने भगवान कृष्ण के पवित्र चरणों में सुंदर भजनों का गायन किया। साध्वी जी ने द्वापरयुग की स्थिति का वर्णन करते हुए भगवान के प्रकट होने के कारणों को रखा। उन्होंने श्री कृष्ण के द्वारा अधर्मी कंस के उद्धार की गाथा को भी प्रस्तुत किया। राक्षसों के वध की चर्चा करते हुए साध्वी जी ने बताया कि अज्ञानता के कारण ही मानव हृदय में मलिनता व पाप पनपते हैं और मात्र भगवान में ही उन बुराइयों को जड़ से मिटने की शक्ति होती है। उन्होंने एक सच्चे भक्त के गुणों का भी उल्लेख किया।

गोकुल के गोपी और गोपाल जानते थे कि जो श्री कृष्ण उनके साथ बाल क्रीडाएं करते हैं वे कोई साधारण बालक नहीं अपितु प्रभु है क्योंकि उन्होंने उस समय के युगपुरूष श्री कृष्ण द्वारा  सर्वोच्च दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसी प्रकार, वर्तमान समय के पूर्ण सतगुरु सर्वश्री आशुतोष महाराज जी जिज्ञासुओं को दिव्य ज्ञान प्रदान करते हुए उन्हें भक्त बनने और जीवन में जीतने का मार्ग दे रहे हैं। अनेक आध्यात्मिक कार्यक्रमों और सामाजिक गतिविधियों द्वारा संस्थान समाज में विशेष योगदान देते हुए इस कलयुग को सतयुग में बदल रहा है।

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