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भगवान श्रीकृष्ण प्रतीक है अथाह ज्ञान, विवेक, सम्यक कर्म, दिव्य प्रेम, एवं भक्ति के।  कृष्ण कथा एक उत्कृष्ट उदाहरण है प्राचीन धर्म ग्रंथों एवं भगवत गीता में निहित भगवान श्री कृष्ण के जीवन आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाने का। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की असीम अनुकम्पा द्वारा पंजाब के गिद्दड़बाहा क्षेत्र में दिनांक 2 से 6 अप्रैल 2019 तक डीजेजेएस द्वारा पुनीत पावन श्री कृष्ण कथा का भव्य आयोजन किया गया जिसमें उपस्थित जन-समुदाय को भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य सन्देश एवं आदर्शों द्वारा मुक्ति एवं वास्तविक आनंद के मार्ग की ओर  प्रशस्त किया गया।

Shri Krishna Katha Elucidated the Divine Sermons of Lord Krishna at Giddarbaha, Punjab

कथा व्यास साध्वी सुमेधा भारती जी एवं उनके साथ उपस्थित शिष्य संगीतकारों की मंडली ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन चरित्र के माध्यम से भारतीय संस्कृति एवं रीति-रिवाजों की बहुत ही सुन्दर विवेचना की जिसका उपस्थित जनसमुदाय ने सम्पूर्ण लाभ उठाया।

 साध्वी जी ने बताया कि भगवान द्वारा की गई प्रत्येक लीला के पीछे बहुत ही गूढ़ रहस्य छिपे हैं। श्रीकृष्ण ने अपने सन्देश के माध्यम से समझाया कि बाह्य एवं आंतरिक स्तर की मलिनता को केवल ब्रह्मज्ञान द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है।

Shri Krishna Katha Elucidated the Divine Sermons of Lord Krishna at Giddarbaha, Punjab

धार्मिक ग्रंथों के सन्दर्भ से साध्वी जी ने बताया कि भगवान के शाश्वत रूप को एक पूर्ण संत द्वारा प्रदत ब्रह्मज्ञान द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। साध्वी जी ने बताया कि भगवान कृष्ण प्रतीक है अंधकार के विनाश के।  महाभारत युद्ध के समय भय एवं मोहग्रसित अर्जुन को भगवान ने ही सर्वोच्च विज्ञान अर्थात ब्रह्मज्ञान प्रदान कर उसे दिव्य चक्षु प्रदान किया था जिसके द्वारा ही अर्जुन का मोह भंग हो पाया था। हमें भी प्रभु के श्रीचरणों में यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हम सब भी अपने भीतर उस आलौकिक सत्ता का दर्शन कर परमानंद एवं मोक्ष के मार्ग की ओर प्रशस्त हो पाए। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी आज उसी सनातन पुरातन ब्रह्मज्ञान को जनमानस तक पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। ब्रह्मज्ञान ही वह माध्यम है जिसके द्वारा मनुष्य ईश्वरीय प्रेम, भक्ति, करुणा और कृतज्ञता से भरा एक आदर्श जीवन व्यतीत कर सकता है।

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