दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में 9 से 13 नवंबर 2022 तक हरियाणा के मंडी डबवाली में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। इस भव्य आध्यात्मिक आयोजन में अनेकों भक्तों व कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति दर्ज़ की गई। कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने श्लोकों व बहुत से कथानकों और उदाहरणों के साथ कथा की सुंदर प्रस्तुति की। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण की हर लीला दिव्य, आलोकिक और प्रेरणादायक रहस्यों से भरी हुई है, जो हर मानव में शक्ति, स्फूर्ति व नवचेतना का संचार करती है।
साध्वी जी ने आध्यात्मिक प्रवचनों और आत्मरंजन प्रदान करने वाले भजनों के माध्यम से श्री कृष्ण के जीवन के सभी प्रतिमानों और आदर्शों को बड़े ही सुंदर रूप से व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर भी खूब अच्छे से प्रकाश डाला कि 'ब्रह्मज्ञान' का वैदिक विज्ञान ही आध्यात्मिक ज्ञान कों पाने का एकमात्र साधन है। यह आत्म-साक्षात्कार की वह शाश्वत तकनीक है जो व्यक्ति को भीतर रहने वाली एकमात्र सर्वोच्च शक्ति से जोड़ती है। जैसा कि भगवद गीता में भी उल्लेख किया गया है:
ब्रह्मार्पणं ब्रह्म हविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् । ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना ॥
जो पूरी तरह से ईश्वर-भावना में लीन हैं, उनके लिए (यज्ञ में) अर्पण ब्रह्म है, जिस उपाय से यह चढ़ाया जाता है वह हवन-द्रव्य भी ब्रह्म है, तथा ब्रह्मरूप कर्ताके द्वारा ब्रह्मरूप अग्निमें आहुति देनेकी क्रिया भी ब्रह्म ही है- उस ब्रह्मकर्मरुप समाधि द्वारा प्राप्त किये जाने योग्य फल भी ब्रह्म ही है। अर्थात ऐसे व्यक्ति जो हर वस्तु-पदार्थ, स्थिति-परिस्थिति, संसार सबको भगवान के रूप में देखते हैं, उन्हें वह परब्रह्म ईश्वर सहजता से ही प्राप्त हो जाते हैं।
साध्वी जी ने जीवन के परम लक्ष्य को उजागर करते हुए यह भी बताया कि ईश्वर को देखा जा सकता है और ब्रह्मज्ञान की दिव्य आध्यात्मिक तकनीक के माध्यम से ही यह संभव है, जो कि कोई नई या स्वरचित तकनीक नहीं है। यह वही ज्ञान है जो कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को प्रदान किया गया था। भगवान श्री कृष्ण के सभी उपदेशों का जीवन में व्यावहारिक रूप से उपयोग करने के लिए, 'ब्रह्मज्ञान' का दिव्य ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है जो मानव जाति को सामाजिक और नैतिक रूप से जिम्मेदार बनने में मदद करेगा। क्योंकि-
"वह जो हर जगह और सभी भूत प्राणियों में ईश्वर को देखता है, वही सर्वोच्च व सच्चा अध्यात्मवादी है।"
इसलिए, हमें भगवान श्री कृष्ण जैसे एक पूर्ण आध्यात्मिक सतगुरु की तलाश करनी चाहिए, जो हमें श्रीमद्भगवत गीता में वर्णित वही 'दिव्य आध्यात्मिक ब्रह्मज्ञान' प्रदान कर सके। तभी हम अपनी सभी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी सभी आसक्तियों से मुक्त हो जीवन यात्रा के दौरान अपने सभी कर्तव्यों को पूरा कर सकते हैं।
यह डीजेजेएस का निरंतर प्रयास है कि ब्रह्मज्ञान प्रदाता श्री आशुतोष महाराज जी, जो इस दिव्य आध्यात्मिक तकनीक को प्रदान करने में सक्षम हैं उन्हीं की दिव्य अनुकंपा व कृपा द्वारा ब्रह्मज्ञान के इस शाश्वत विज्ञान को दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध कराया जाए। कार्यक्रम में भारी संख्या में उपस्थित भक्तों ने संस्थान के इस दिव्य आयोजन व परिश्रम की भूरी भूरी प्रशंसा की और सभी अपनी आत्मा को समृद्ध करने के लिए सत्य आध्यात्मिक मार्ग की तलाश करने के लिए दृढ़ और सकारात्मक संकल्प के साथ वापिस लौटे।