कुम्भ मेला- एक ऐसा आध्यात्मिक स्थल है जहाँ आध्यात्म के गूढ़ से गूढ़ रहस्य को सहजता से समझा जा सकता है। जिसका कण कण मानव हृदय की विकृतियों की कलुषता को हटा उन्हें दीप्तिमान कर रहा है ठीक उसी प्रकार जैसे प्रभु श्रीराम ने त्रेता युग में आध्यात्म के द्वारा जन-मानस को अज्ञानता रुपी तमस से मुक्त किया था। उस ईश्वरीय सत्ता, उसके साम्राज्य के रहस्य को समझने और वर्तमान में उचित राज्य प्रणाली की स्थापना हेतु भगवान श्री राम का जीवन चरित्र एक आदर्श है। वर्तमान समय के सन्दर्भ में, कोई नयी तकनीकी, नयी खोज, नए संसाधन, रणनीतियाँ, समाज की बिगड़ती दशा एवं मानव के गिरते स्तर को सँभालने में समर्थ नहीं है।
ऐसी कौन सी ज्ञानाग्नि है जिसे प्रभु श्री राम ने प्रज्वलित किया था ? जिसमें जलकर मानव के भीतर की सारी बुराइयाँ जल कर स्वाहा हो जाती है। जिसके प्रज्जवलन से मानव के अंतःकरण में स्तिथ घोर तमस का अंत हो जाता है। ईश्वर पिपासुओं को इसी वास्तविकता से अवगत कराने के उद्देश्य से , परम पूजनीय श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य सानिध्य में ,कुम्भ मेला प्रयागराज में 26 जनवरी 2019 - 1 फरवरी 2019 तक 7 दिवसीय, श्री राम कथा का आयोजन किया गया। आस्था चैनल द्वारा इस कार्यक्रम का प्रसारण भी 28 जनवरी से 3 फरवरी तक किया गया। प्रख्यात एवं सम्मानित अतिथिगणों से शोभायमान इस कार्यक्रम को प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा कवर भी किया गया। कथा में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे: श्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी जी (कैबिनेट मंत्री, उत्तर प्रदेश), श्री विजय किरण आनंद जी IAS (मेला अधिकारी, प्रयागराज 2019)।
उपस्थित जन समुदाय को सम्बोधित करते हुए कथा व्यास साध्वी श्रेया भारती जी ने समझाया कि किस प्रकार हम विपरीत परिस्थितियों से घिरे होने के बाद भी सत्य पथ पर अग्रसर हो सकते हैं। प्रभु श्री राम का जीवन दर्शन इस बात का प्रमाण है। उन्होंने अपने जीवन काल में शान्ति, न्यायप्रियता, प्रेम, सद्भावना का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने हनुमान, वानरदल, विभीषण जैसी असंख्य भक्त आत्माओं को सनातन काल से चले आ रहे इसी ब्रह्मज्ञान का बोध करा उन्हें आत्म- जागृत कराया था। वर्तमान समय में श्री आशुतोष महाराज जी एक ऐसे ही युग पुरुष हैं जो जन जन तक इस ब्रह्मज्ञान को पहुंचा उन्हें लाभान्वित कर रहे हैं। ध्यान साधना के माध्यम से एक जीव अपनी ऊर्जा शक्ति को सही दिशा में स्थानांतरित कर पाता है जिसके फलस्वरूप वो सही गलत का भेद समझ कर नैतिकता की ओर अग्रसर होता है। केवल और केवल ब्रह्मज्ञान द्वारा ही मनुष्य अपने बंधनों से मुक्त हो परमानन्द को प्राप्त कर सकता है।
मानव जीवन का एक मात्र उद्देश्य ब्रह्मज्ञान प्राप्ति है! कथा में सुमधुर भजनों के माध्यम से इस सन्देश को भक्त श्रद्धालुओं तक पहुंचाया गया। उपस्थित जनसमुदाय ने इस कार्यक्रम का पूरा लाभ उठाया इसके अतिरिक्त वो संस्थान द्वारा समाज में लाये जाने वाले परिवर्तन को जानने के लिए खास उत्साहित दिखे। संस्थान द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न प्रकल्पों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गयी।