अपने भीतर देवत्व को धारण करो, इस सन्देश को जन-जन तक पहुँचाने के लिए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री गंगानगर, राजस्थान में 20-24 अप्रैल तक पांच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गयाl कथा व्यास साध्वी गरिमा भारती जी ने प्रभु श्री राम की प्रत्येक लीला के पीछे छिपे रहस्य को उजागर कियाl
रामचरित्रमानस भक्त हनुमान का उल्लेख किये बिना अधूरी हैl वह ज्ञान और भक्ति के अवतार हैंl उनके जीवन का उद्देश्य प्रभु श्री राम को अपनी भक्ति, श्रद्धा इत्यादि आध्यात्मिक गुणों से प्रसन्न करना थाl वह भक्ति से परिपूर्ण सेवक के एक प्रमुख उदाहरण हैंl साध्वी जी ने भक्त हनुमान की भक्ति और अनुराग की प्रशंसा करते हुए कहा कि एक दृंढ संकल्पित शिष्य बनने हेतु उनके मार्ग का अनुसरण करना चाहिएl शंका शिष्य को विचलित करती है, उलझाती है और भक्ति मार्ग से दूर करती हैl श्रद्धा, विश्वास और संदेह कभी साथ- साथ नहीं चल सकतेl संदेह केवल विश्वास की कमी हैंl इस भक्ति पथ पर निरंतर चलते हुए ईश्वर पर अटूट विश्वास को चट्टान की तरह मजबूत करने की जरुरत हैl तभी एक भक्त अपनी भक्ति की यात्रा में आगे बढ़ सकता है और मोक्ष रूपी अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर सकता हैl
आगे साध्वी जी ने समझाया कि भक्ति को प्राप्त करने के लिए हनुमंत की ही भांति एक शिष्य को निस्वार्थ भावना से ईश्वर की सेवा में जुट जाना चाहिए और आंतरिक रूप से ध्यान का भी अभ्यास करना चाहिए l ब्रह्मज्ञान ही एकमात्र ध्यान की सही तकनीक है जो केवल एक पूर्ण गुरु द्वारा ही प्राप्त की जा सकती हैl पूर्ण गुरु ही इस दिव्य ज्ञान का आशीर्वाद दे सकते हैं जिसके माध्यम से मनुष्य भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ सकता हैंl उपस्थित श्रद्धालुओं ने ध्यानपूर्वक कथा को श्रवण कियाl प्रेरणात्मक विचारों तथा सुमधुर भजनों को श्रवण करने के उपरांत श्रोतागणों ने दिव्यता और सकारात्मकता का अनुभव कियाl