दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज के दिव्य मार्गदर्शन के अंतर्गत राजस्थान के जोधपुर में भव्य व विशाल सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन, 22 से 28 सितम्बर 2019 तक किया गया। संस्थान के अथक प्रयास द्वारा भारतीय संस्कृति के उत्थान हेतु व हर मानव में आध्यात्मिकता के वैदिक विज्ञान को प्रसारित करने के लिए देश में और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान आज समाज में व्याप्त सभी गंभीर समस्याओं के मूल कारण को समाप्त करने हेतु कार्यरत है।
21 सितंबर को भव्य मंगल कलश यात्रा द्वारा सैकड़ों सौभाग्यवती महिलाओं ने अपने सिर पर कलश धारण कर, नारे लगाते हुए व कथा ज्ञानयज्ञ में जन साधारण को खुला निमंत्रण दिया। कार्यक्रम में अनेक जाने-माने व्यक्तित्व व सम्मानित अतिथि उपस्थिति रहें। कार्यक्रम का डी-लाइव टेलीकास्ट 23 सितंबर से देश भर में संस्कार टीवी चैनल द्वारा किया गया। इस आयोजन में विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हाउस भी शामिल रहे।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी श्रेया भारती जी ने भगवान श्री राम की दिव्य लीलाओं में निहित आध्यात्मिक रहस्यों के मोती को बांटा व साथ ही भगवान् और भक्त के पवित्र प्रेम अमृत के मधुर गुणगान से प्रत्येक आत्मा को सराबोर कर दिया। साध्वी जी ने समझाया कि पृथ्वी पर भगवान राम के आगमन का उद्देश्य सिर्फ बाहरिय राक्षसों को समाप्त करना नहीं था, बल्कि साधक के अंतःकरण में दिव्य प्रकाश को सक्रिय करते हुए भीतर निहित अवगुणों रूपी राक्षसों व पापों को समाप्त करना रहा। सतगुरु रूप में भगवान राम अपने शिष्यों या भक्तों में श्रेष्ठ गुणों को प्रगट करते हैं। भगवान राम ने भक्तों को ब्रह्मज्ञान (ईश्वरीय ज्ञान) द्वारा श्रेष्ठ जीवन प्रदान किया। जब शिष्य धार्मिकता का मार्ग अपनाता है और अपने गुरु के आदेशों को धारण करता है, तो उनका जीवन ज्ञान, शांति और आनंद का खजाना बन जाता है।
साध्वी जी ने हनुमान जी का उदाहरण देते हुए समझाया कि श्री हनुमान, भगवान के उत्साही सेवकों में से एक है। हनुमान जी का सेवा समर्पण कुछ ऐसा था कि जब श्री राम, रावण को हराकर अयोध्या लौटे, तो हनुमान जी के लिए कोई सेवा कार्य नहीं बचा तब उन्होंने स्वयं ही भगवान के जम्भाई लेते समय चुटकी बचाने की सेवा स्वीकार कर ली। इस तरह उन्हें सदैव प्रभु के सान्निध्य में रहने और उनके दर्शन का अवसर मिल गया। एक दिवस प्रभु के समीप न होने पर हनुमान जी निरंतर चुटकी बजाते रहे और प्रभु श्री राम निरंतर जम्हाई लेते रहे, ऐसी थी भगवान के प्रति भक्त की प्रेम और भक्ति की शक्ति। हनुमान, सेवक के आदर्श का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनकी भक्ति इतनी महान थी कि हम आज भी हनुमान को सच्चे सेवक के आदर्श के रूप में पूजते हैं।
साध्वी जी ने कथा के अंत में परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि गुरुदेव ऐसे महान व परम गुरु हैं जो ब्रह्मज्ञान प्रदान कर, साधकों को आत्मा के उच्च स्तर तक पहुँचते हैं और ब्रह्मज्ञान की महान प्रक्रिया द्वारा असंख्य मानवों को परिवर्तित कर रहे हैं। साध्वी जी द्वारा कथा प्रसंग की गूढ़ व्याख्या व संत-समाज द्वारा मधुर भजनों के गायन ने दिव्य तरंगों को स्पंदित करते हुए, उपस्थित लोगों के भीतर भक्ति व प्रभु दर्शन की अभिलाषा को जागृत किया। सभी दिशाएँ "जय श्री राम, जय श्री राम" जयकारों से गुंजित हो उठी। अतिथियों व उपस्थिति जन-समूह ने सामाजिक ताने-बाने को दृढ़ व सुव्यवस्थित करने हेतु संस्थान द्वारा चलाए जा रहे कार्यों का समर्थन करते हुए, बढ़-चढ़कर सहयोग देने की अभिलाषा प्रगट की।