ईश्वर का धरा मंडल पर अवतरण सदैव किसी विशेष प्रयोजन हेतु होता है। त्रेता युग में, धरा को बुरी एवं आसुरी शक्तियों से मुक्त कर एक आदर्श राज्य की स्थापना करने हेतु वह दिव्य शक्ति श्री राम के रूप में अवतरित हुई। ब्रह्मज्ञान की पद्दति के माध्यम से मनुष्य अपने भीतर में उस ईश्वर का साक्षात्कार कर सकता है।
मानव के भीतर उस ईश्वरीय सत्ता का साम्राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य सानिध्य में डीजेजेएस द्वारा दिनांक 9 से 13 अक्टूबर तक कोटकपुरा, पंजाब में 5 दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया। कथा का आयोजन "अंतर्दृष्टि" प्रकल्प के अंतर्गत किया गया था जिसका उद्देश्य दिव्यांगजनों को आजीविका का स्त्रोत प्रदान कर उन्हें आत्म निर्भर बना समाज की मुख्य धरा से जोड़ना है।
कथा व्यास साध्वी शची भारती जी ने प्रभु श्री राम के जीवन चरित्र का सुन्दर विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि त्याग, सादगी, संतोष, आत्म बलिदान के साथ साथ साहस, वीरता एवं शौर्य जैसे अलंकारों से सुसज्जित प्रभु श्री राम का जीवन चरित्र अतुलनीय एवं अनुकरणीय है। वह मन एवं इन्द्रियों के स्वामी थे। उनके भीतर सागर समान गहराई एवं हिमालय पर्वत के समान दृढ़ता थी। उन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति के समक्ष एक आदर्श चरित्र प्रस्तुत किया एवं मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहलाए। प्रभु श्री राम का जीवन चरित्र हमें बहुत कुछ सिखाता है। प्रभु श्री राम ने यह सन्देश दिया कि धर्म एवं भक्ति के मार्ग पर चलने के लिए हमें एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु की आवश्यकता होती है। एक पूर्ण गुरु की दिव्य कृपा से ही मनुष्य अपने घट के भीतर स्तिथ परमात्मा का दर्शन कर पाता है एवं उनसे चिर स्थायी सम्बन्ध स्थापित कर पाता है।
साध्वी जी ने संस्थान द्वारा संचालित अंतर्दृष्टि प्रकल्प के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि यह प्रकल्प पूरी दुनिया से पृथक हो रहे दिव्यांग वर्ग को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने एवं उनको समावेशी विकास के अवसर प्रदान करने हेतु कटिबद्ध है। भक्ति के मधुर तरानों एवं ओजस्वी विचारों ने उपस्थित जन समुदाय के मध्य सकारात्मक तरंगों का स्पंदन किया। भक्ति एवं आध्यात्म के वास्तविक मार्ग को बताती इस कथा का सभी ने पूर्ण आनंद उठाया।