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‘आत्म जाग्रति’ के बीज को रोपित करने व भगवान श्री राम की दिव्य प्रेरणाओं को जन-जन तक पहुँचाने हेतु, श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 7 से 13 नवंबर 2022 तक रामलीला मैदान, सेक्टर 21, कंझावला रोड, रोहिणी, दिल्ली में भव्य सात दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन किया गया। कथा व्यास एवं श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी श्रेया भारती जी ने मानव जन्म व ‘आत्म-जाग्रति’ के महत्व को उजागर करते हुए प्रभु श्री राम द्वारा दिए सर्वोच्च ज्ञान का मार्मिक विवरण प्रस्तुत किया। भावपूर्ण भजनों व ज्ञानवर्धक प्रवचनों ने उपस्थित सभी श्रोताओं को भक्ति-भाव व सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया।

Shri Ram Katha Reiterated Spiritual Enlightenment as a Divine Sermon of Lord Ram at Sector 21, Rohini, New Delhi

समाज के नैतिक परिवर्तन के लिए ‘त्रेता-युग’ में दिए प्रभु श्री राम के आख्यानों व शिक्षाओं को समझने की आवश्यकता है ताकि हम निष्ठा व परम उद्देश्य सहित सात्विक व सदाचारपूर्ण जीवन जीने की कला को सीख सकें। साध्वी जी ने उपस्थित श्रोतागणों को भगवान राम द्वारा प्रख्यापित गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। कथा में रामायण व रामचरितमानस में वर्णित प्रसंगों सहित मार्मिक विवरण प्रस्तुत किए गए। डीजेजेएस की प्रवक्ता ने समझाया कि प्रभु श्री राम का धरती पर अवतरण सत्य व धर्म की स्थापना हेतु हुआ था और उन्होंने सम्पूर्ण मानव जाति के समक्ष आदर्श जीवन का उदाहरण प्रस्तुत किया।

साध्वी जी ने ‘ब्रह्मज्ञान’ को मोक्ष प्राप्ति के एक दिव्य साधन के रूप में सुंदर विवरण सहित प्रस्तुत किया। उन्होंने समझाया कि सभी के भीतर प्रभु श्री राम वास करते हैं और अपने अंतर्घट में उस शक्ति को साकार करने हेतु मुक्ति प्रदायी ‘ब्रह्मज्ञान’ विधि की आवश्यकता है, जिसे केवल समय के पूर्ण सतगुरु की कृपा द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। साध्वी जी ने ‘आत्म-साक्षात्कार’ से सशक्त व्यक्तिगत आध्यात्मिक विकास द्वारा ‘राम राज्य’ स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। ब्रह्मज्ञान मानव को परिस्थिति, व्यक्ति व वस्तु की पहचान सहित जीवन-मृत्यु चक्र पर भी स्पष्ट दृष्टि प्रदान करता है। 

Shri Ram Katha Reiterated Spiritual Enlightenment as a Divine Sermon of Lord Ram at Sector 21, Rohini, New Delhi

श्री आशुतोष महाराज जी ने असंख्य जिज्ञासुओं को ‘ब्रह्मज्ञान’ प्रदान कर प्राचीन भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा को पुनः स्थापित किया है। आज भी विश्व भर में श्री गुरुदेव की कृपा से जन जन को यह ब्रह्मज्ञान दिया जा रहा है। आत्म साक्षात्कार के परम ज्ञान में दीक्षित हो कर, गहन ध्यान-साधना द्वारा, भक्त आंतरिक शुद्धिकरण कर ‘राम राज्य’ की पुनः स्थापना में अपना योगदान प्रदान कर सकता है। गुरु आज्ञाओं का पालन करते हुए जब एक साधक दिव्य पथ पर निरंतर चलता रहता है, तब उसका जीवन असीम शांति, विवेक व परमानंद का खज़ाना बन जाता है।

कार्यक्रम के अंत में, कृतज्ञता व आध्यात्मिक वर्धन की भावना से सराबोर भक्तों ने संपूर्ण वातावरण को श्री राम के पवित्र जयघोषों से गुंजायमान कर दिया।

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