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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से 20 से26 अक्टूबर 2024 तक बोधगया, बिहार में सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा काआयोजन किया गया। इस कथा का उद्देश्य भक्तों को अपने जीवन के श्रेष्ठतम एवं वास्तविक लक्ष्य अर्थात ईश्वर दर्शन और मोक्ष प्राप्ति हेतु आध्यात्मिक यात्रा पर अग्रसरहोने के लिए प्रेरित करना था। कार्यक्रम का शुभारंभ कलश यात्रा द्वारा किया गया, जिसमेंसिर पर कलश रख हजारों सौभाग्यवती महिलाओं ने भाग लिया एवं भगवान शिव का नामलेते हुए आस पास रहने वाले जनसमूह को इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिएआमंत्रित भी किया। कथा से पूर्व ब्रह्मज्ञानी वेद-पाठियों द्वारा रुद्री-पाठ एवं वैदिक मंत्र उच्चारण किए गए, जिससे एक दिव्य वातावरण निर्मित हुआ।

Shri Shiv Mahapuran Katha revealed Eternal Technique to perceive God within at Bodh Gaya, Bihar

कथा व्यास डॉ. सर्वेश्वर जी (दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य) ने बहुत हीसुन्दर और वैज्ञानिक ढंग से हमारे वैदिक इतिहास में घटित घटनाओं के आध्यात्मिक रहस्योंको उजागर करते हुए तीनों लोकों के स्वामी भगवान शिव के विषय में विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने कहा कि भगवान महादेव अपने भक्तों के प्रति अत्यंत उदार और भोले हैं।संसार को 'अमृत' प्रदान कर, भगवान ने स्वयं विषपान किया। कथा व्यास ने दिव्य ज्ञान(ब्रह्मज्ञान) की सनातन विधि को वर्णित किया। समय के पूर्ण आध्यात्मिक गुरु मानव केतृतीय नेत्र को सक्रिय करते है और उसके घट में ही ईश्वर दर्शन करवाते हैं। ब्रह्मज्ञान की इसप्रक्रिया में मानव अपने तीसरे नेत्र के चक्र पर ध्यान केंद्रित करता है, जो वैज्ञानिक रूप सेहाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी ग्रंथि, पीनियल ग्रंथि से संबंधित है। इस चक्र पर निरंतर ध्यानमनुष्य को जीवन में दिव्य ऊर्जा, एकाग्रता, स्पष्टता, आनंद और ज्ञान से सशक्त बनाता है।

यह समझना अनिवार्य है कि ब्रह्मज्ञान केवल एक पूर्ण गुरु द्वारा ही प्रदान किया जा सकताहै। भगवान शिव ने स्वयं सच्चे आध्यात्मिक गुरु की स्तुति की है, जो ब्रह्मा, विष्णु औरमहेश का संयुक्त रूप होते है। इन परम देवताओं की भांति पूर्ण गुरु भी अपने शिष्यों मेंज्ञान का सृजन और पालन-पोषण करते हैं और उनके अज्ञान को नष्ट करते हैं। आज ऐसेअंधकारमय समय में जब विश्व मानसिक शांति के लिए संघर्ष कर रहा है और असीमितउद्विग्‍नता से घिरा हुआ है, हमें एक ऐसे ही पूर्ण गुरु की आवश्यकता है जो भीतर केअंधकार को नष्ट कर सके और हम सभी को सकारात्मकता, प्रेम और आनंद के सम्पूर्णजगत की ओर ले जा सके।

Shri Shiv Mahapuran Katha revealed Eternal Technique to perceive God within at Bodh Gaya, Bihar

भगवान शिव स्वयं ध्यान चेतना की स्थिति प्राप्त करने वाले एवं वर्षों तक गहन ध्यान(समाधि) को प्रदर्शित करने वाले उत्कृष्ट उदाहरण हैं। जब एक शिष्य किसी पूर्ण तत्त्ववेता सतगुरु से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लेता है और निरंतर ध्यान का अभ्यास करता है, तो वह स्वयंही अपने भीतर शाश्वत आनंद का अनुभव करता हुआ मोक्ष प्राप्ति की ओर बढ़ता है।

श्री शिव महापुराण कथा का यह भव्य कार्यक्रम श्रद्धालुओं के लिए बहुत ही मार्मिक औरविचारशील सिद्ध हुआ। प्रवचनों के बीच भक्ति गीतों ने भक्तों को दिव्यता के वातावरणसे अनुबंधित रखा। इस कार्यक्रम को कई प्रिंट मीडिया/समाचार पत्रों द्वारा भी कवर कियागया जैसे दैनिक भास्कर, राष्ट्रीय सहारा, आज, दिव्य भास्कर। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने डीजेजेएस प्रतिनिधियों के समन्वित सामूहिक प्रयासों की सराहना की। सभीने डीजेजेएस द्वारा प्रस्तुत किए गए आध्यात्मिक तथ्यों को स्वीकार किया। कई भक्तों ने‘ब्रह्मज्ञान’ प्राप्त करने में गहरी रुचि दिखाई और अपने जीवन की श्रेष्ठतम यात्रा अर्थात अध्यात्मिक यात्रा को आरंभ करने का संकल्प धारण किया।

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