श्रीमद्भागवत कथा की श्रृंखला में 18 से 24 सितम्बर तक पुराना बस स्टेशन ग्राउंड, कैथल, हरियाणा में विशाल व् भव्य कथा का आयोजन किया गया| कथा व्यास साध्वी विश्वम्भरा भारती जी ने भारत की पुरातन संस्कृति से परिचित करवाते हुए बताया कि स्वयं देवता भी इस भारत भूमि की महिमा गाते हैं| भारत ने सम्पूर्ण संसार को अनेकों अनमोल धरोहर प्रदान की है| आज भी विदेशी हमारी संस्कृति और भारतीय वस्तुओं से भरपूर लाभ उठा रहे हैं| जिस प्रकार पूर्व दिशा से उदित सूर्य समूचे विश्व के अंधकार को दूर करता है ऐसे ही हमारी भारतीय संस्कृति ने सदैव आध्यात्मिक सूर्य द्वारा संसार के अज्ञान रूपी अंधकार का विनाश किया है| साथ ही इस सन्दर्भ में साध्वी जी ने इतिहास और वर्तमान के अनेकों उदाहरण दिए| उपस्थित श्रद्धालुओं ने भारतीय रीति- रिवाज़ों में छिपी वैज्ञानिकता को जाना| उन्होंने भारतीयता को सिर्फ कुछ चुनिंदा अवसरों तक सीमित न रखते हुए सच्चे अर्थों में भारतीय होने की प्रेरणा पाई| कथा व्यास के आह्वान पर भारत की खोई गरिमा को लौटाने का दृढ़ संकल्प लेते हुए श्रद्धालुओं के चेहरे पर भारतीय होने का गर्व झलक रहा था| शास्त्रीय संगीत पर आधारित सुमधुर भजनों की मनमोहक प्रस्तुति ने सबको आकर्षित किया| कथा के दौरान मनाये गए श्री कृष्ण जन्म महोत्सव, गोवर्धन पूजन, श्री-कृष्ण रुक्मिणी विवाह आदि उत्सवों में सबने बढ़-चढ़ कर भाग लिया| अवतारों की भूमि- भारत के प्राण अध्यात्म के सही अर्थ को समझ कई श्रद्धालु ईश्वर दर्शन के लिए आगे आए| साथ ही कथा पंडाल में अनेकों गणमान्य अतिथियों की भी उपस्थिति रही जिन्होंने संस्थान के प्रयासों को सराहा| 18 से 24 सितम्बर तक कुशीनगर, गोरखपुर में साध्वी पद्महस्ता भारती जी द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का वाचन किया गया| साथ ही 17 सितम्बर से 25 सितम्बर तक गगन नगर, main 33 feet road, गियासपुरा, लुधियाना में भगवत कथा नवाहज्ञान यज्ञ का कार्यक्रम आयोजित हुआ| इस कथा का वाचन साध्वी भाग्यश्री भारती जी द्वारा हुआ|
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