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3 सितम्बर से 9 सितम्बर तक रायकोट, लुधियाना में श्रीमद्भागवत कथा का कार्यक्रम रहा| इस कार्यक्रम का शुभारम्भ मंगलकलश यात्रा व् भारतीय संस्कृति अनुसार दीप प्रज्वलन से हुआ| कथा का वाचन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी विज्ञानानंद जी ने किया| स्वामी जी ने कथा के माध्यम से समाज में व्याप्त अनेक बुराइयों के समूल नाश हेतु ब्रह्मज्ञान की अनिवार्यता पर विचारों को रखा| उन्होंने ने समझाया कि जिस प्रकार शरीर में आत्मा का वास न होने पर  वह शव में परिवर्तित हो सड़ना आरम्भ कर देता है| उसी प्रकार जिस समाज में अध्यात्म न हो तो वह भी अनेक कुरीतियों से विकृत हो जाता है| आज समाज में जितनी भी समस्याएं है उनका समूल नाश तभी सम्भव है जब समाज आध्यात्मिक स्तर पर जागरूक हो| साथ ही 6 सितम्बर से 12 सितम्बर तक भागलपुर, बिहार में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया| कथा का शुभारम्भ ब्रह्मज्ञानी वेदपाठियों द्वारा वेद-मन्त्रों के उच्चारण से हुआ| कथा का वाचन कथाव्यास भागवताचार्य साध्वी सुश्री पद्महस्ता भारती जी ने किया| साध्वी जी ने अपनी ओजस्वी वाणी द्वारा भागवत के अनेक गूढ़ तथ्यों को रोचक व् वैज्ञानिक ढ़ंग से रखा| उन्होंने बताया कि भागवत में वर्णित प्रत्येक घटना मानव के भीतर भी घटित होती है| कथा महिमा के विषय पर अपने विचारों को रखते हुए उन्होंने समझाया कि राजा परीक्षित ने मात्र भागवत श्रवण करने से नहीं अपितु शुकदेव मुनि द्वारा ज्ञान को प्राप्त कर मुक्ति को पाया था| वैदिक शास्त्रों में “ऋते ज्ञानान्न मुक्ति:” द्वारा भी समझाया गया है कि ज्ञान के बिना मुक्ति सम्भव नहीं| कथा व्यास जी ने श्री कृष्ण की सरस लीलाओं का वाचन करते हुए संस्थान के समाजिक गतिविधियों को भी भक्तों के समक्ष रखा| इस कार्यक्रम में भारी संख्या में भक्त उपस्थित रहे| कथा के अंत में अनेक साधकों ने ब्रह्मज्ञान द्वारा ईश्वर दर्शन को प्राप्त किया| 4 सितम्बर से 6 सितम्बर तक श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, गाँव फिरोजपुर कलां तहसील और जिला, पठानकोट में हरि कथा का आयोजन किया गया| साध्वी सुश्री सोम्या भारती जी ने कथावाचन करते हुए श्री हरि की अनेक लीलाओं का वर्णन किया| 

Shrimad Bhagwat Katha Elucidates the Rightful Goal of Human Life to the Devotees of Ludhiana, Punjab

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