यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥७॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥८॥ (श्रीमद्भगवद्गीता, अध्याय ४)
भगवान श्री कृष्ण ने भगवद्गीता में सर्वोच्च शक्ति के रहस्य व विज्ञान को स्पष्ट कर उनसे सम्बन्ध स्थापित करने का शाश्वत मार्ग प्रदान किया है। वह विज्ञान जिसे ब्रह्मज्ञान या दिव्यज्ञान कहा जाता है। श्रीमद्भागवत महापुराण ऐसा पवित्र शास्त्र है जो दिव्यता की महिमा को प्रगट कर विचलित व भ्रमित मानवीय बुद्धि को उसके परम लक्ष्य को समझाने हेतु सक्षम बनाता है।
साध्वी वैष्णवी भारती जी ने भक्ति संगीतकारों के संग 14 सितंबर से 20 सितंबर, 2018 तक पंजाब के जलंधर में भागवत कथा का प्रस्तुतिकरण किया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित भव्य कथा का मुख्य उद्देश्य समाज को कथा व भगवान के दिव्य लीला रहस्यों की वास्तविकता से परिचित करवाना था। कथा में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त एकत्र हुए। कई प्रतिष्ठित अतिथि और गणमान्य व्यक्ति ने भी इस कार्यक्रम में उपस्थिति रहे:
- पदम श्री विजय चोपड़ा, सीईओ और संपादक पंजाब केसरी प्रिंट समाचार संगठन
- श्री विजय सांपला, सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री
- श्री ओम प्रकाश सोनी, कैबिनेट मंत्री पंजाब सरकार
- श्री नरेश मित्तल, निदेशक लवली ग्रुप, जालंधर
- श्री सुदेश लहरी, बॉलीवुड अभिनेता
- श्री फिरोज खान, प्रसिद्ध पंजाबी गायक
- श्री एस.के. गर्ग, माननीय जिला और सत्र न्यायाधीश, जालंधर
- श्री एस.के. अग्रवाल, माननीय जिला और सत्र न्यायाधीश, फिरोजपुर
- श्री खेमकरण गोयल, माननीय एडिशनल और सत्र न्यायाधीश, फिरोजपुर
- एस. संतोख सिंह चौधरी, संसद सदस्य, जालंधर
- श्री जगदीश राज राज्जा, मेयर, जालंधर
- श्री राजिंदर बेरी, विधायक, जालंधर
- श्री सुरिंदर चौधरी, विधायक, करतारपुर
- उस्ताद श्री बलदेव शरण नारंग, प्रसिद्ध उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत गायक
सात दिवसीय कथा आयोजन में हजारों लोगों शामिल हुए। साथ ही इस कथा को आस्था चैनल के माध्यम से दुनिया भर में प्रसारित किया गया जिसके द्वारा विश्वभर के श्रद्धालुओं ने भी इसका लाभ पाया। कथा को विभिन्न प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी कवर किया: अमर उजाला, दैनिक सवेरा, अजित समाचार, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर इतियादी।
प्रत्येक दिन कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान के श्री चरणों में पवित्र प्रार्थना से हुआ व भक्ति गायन ने हर मन को ईश्वरीय सत्ता से जुड़ने हेतु प्रेरित किया। साध्वी जी ने श्रोताओं के समक्ष भगवान कृष्ण की कई दिव्य घटनाओं में निहित आध्यात्मिक तथ्यों को रखा। उन्होंने भगवान कृष्ण की वाणी के आधार पर विस्तार से समझाते हुए कहा कि एक पूर्ण सतगुरु ही ब्रह्मज्ञान द्वारा साधक को अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर उन्मुख करते है और तब वास्तविक भक्ति और धर्म का आरम्भ होता है। इस प्रक्रिया द्वारा ही मानव दैवीय प्रकाश का साक्षत्कार कर स्वयं को प्रकाशित कर पाता है। भगवान कृष्ण ने भी गोपों, गोपिकाओं, द्रौपदी, अर्जुन और कई अन्य भक्तों के जीवन में पूर्ण सतगुरु की भूमिका को निभाया। आज भी आवश्यकता है भगवान कृष्ण रूपी सतगुरु को खोजने की जो अंतरजगत का मार्ग खोले में सक्षम हो जहां अनन्त शांति, आनंद और खुशी का खजाना है।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी आज के समय के पूर्ण सतगुरु है, उनके सर्वोच्च मार्गदर्शन में समाज वास्तविकता और ज्ञान के संदेश को स्पष्ट रूप से प्राप्त कर रहा है। यह जीवन सर्वोच्च निर्माता ईश्वर के बिना अधूरा है, केवल एक पूर्ण सतगुरु ही इसे प्रकट कर हमें दिव्यता से जोड़ सकते हैं। दिव्यता से जुड़कर ही एक जागृत मन अपने साथ-साथ समाज उत्थान के लिए प्रयासरत हो विश्व में बृहद सकारात्मक परिवर्तन की लहर ला सकता है।