आज मानव मात्र कोरे धार्मिक शब्दों और रीतियों की पालना कर रहा है, उसकी भक्ति का उद्देश्य ईश्वर से प्रेम नहीं अपितु ईश्वर से संसार की अभिलाषा को पूर्ण करना है। भारतवर्ष में नवरात्रों का पर्व समाज में व्याप्त नकारात्मक शक्तियों पर माँ शक्ति की विजय का पर्व है। हम बड़ी श्रद्धा से माँ शक्ति के नौ दिव्य रूपों का पूजन करते हैं, लेकिन कभी भी इन दिव्य रूपों में निहित माँ के दिव्य संदेशों को जानने का प्रयास नहीं कर पाते है। समाज को इस तथ्य से परिचित करवाने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, परम पूजनीय सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में, इस समृद्ध ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए पूर्णरूपेण प्रयासरत है। श्रीमद्देवी भागवत कथा का उद्देश्य- प्राचीन काल से सभ्यताओं के प्रेरणा स्रोत की दिव्यता व माँ शक्ति की महिमा से जन-जन को परिचित करवाना है। यह तथ्य प्रमाणित है कि इस ब्रह्माण्ड के प्रत्येक कण में शक्ति, ऊर्जा विद्यमान है। वास्तव में वही दिव्य ऊर्जा, ब्रह्मांड का सार है व सभी प्रक्रियाओं में निहित प्रकाश भी है।
सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने लुधियाना, पंजाब में 29 सितम्बर से 5 अक्टूबर 2019 तक श्रीमद्देवी भागवत कथा का कार्यक्रम आयोजित किया। कथाव्यास साध्वी भद्रा भारती जी ने माँ महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि माँ शक्ति की प्रत्येक लीला भव्य और विचारशील रहस्यों से ओत-प्रोत है। उनके अंतर्निहित अर्थ न केवल उस युग में प्रासंगिक थे, बल्कि आज के युग में भी अचूक महत्व रखते हैं। उन्होंने ब्रह्मज्ञान (ईश्वरीय ज्ञान) के शास्त्रीय व वैज्ञानिक तथ्य को भी समझाया। साध्वी जी ने माँ शक्ति के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए बताया कि माँ दुर्गा- शक्ति व ऊर्जा को सकारात्मक बनाती है और उन सभी नकारात्मक प्रवृत्तियों का अंत करती है, जो मानव के विकास में बाधा डालती हैं। माँ लक्ष्मी- धन की देवी, मानव को दिव्य गुणों के धन से समृद्ध करती है, जो मानव जीवन का असली खजाना है। देवी सरस्वती- ज्ञान की देवी, जीवन में दिव्य ज्ञान को प्रदान करती हैं। हालाँकि कार्यक्रम 5 अक्टूबर को समाप्त हो गया, परन्तु कथा द्वारा प्रदत्त ईश्वरीय संदेश भक्तों के हृदयों में अंकित हो गया।