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श्रीमद् देवी भागवत में निहित आध्यात्मिक रत्नों को जन-जन के समक्ष उजागर करने हेतु, श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) के दिव्य मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 28 जनवरी से 03 फरवरी 2023 तक रोहतक, हरियाणा में सात दिवसीय भव्य श्रीमद् देवी भागवत कथा का आयोजन किया गया। कथा में गणमान्य अतिथियों व असंख्य श्रद्धालुओं की उपस्थिति देखी गई। सेवादारों व भक्तों द्वारा 27 जनवरी 2023 को भव्य कलश यात्रा के आयोजन के साथ कथा का शुभ आरंभ किया गया। कलश यात्रा के माध्यम से लोगों को कथा से मिलने वाले आध्यात्मिक लाभ व एक उन्नत शांत समाज के लिए ब्रह्मज्ञान के सिद्धांतों को जीवन में आत्मसात करने के प्रति जाग्रत किया गया। कथा व्यास साध्वी अदिति भारती जी ने श्रीमद् देवी भागवत में निहित आध्यात्मिक आदर्शों को सुंदर प्रवचनों के माध्यम से रखा। मंच पर उपस्थित श्री आशुतोष महाराज जी के अन्य शिष्यों ने भावपूर्ण भजनों की श्रृंखला को प्रस्तुत किया।

Shrimad Devi Bhagwat Katha positioned Brahm Gyan as a pre-requisite for Spiritual Journey at Rohtak, Haryana

डीजेजेएस प्रवक्ता ने श्लोकों व उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि कैसे देवी मां की प्रत्येक लीला दिव्य व आध्यात्मिक रहस्यों से अभिभूत होती है। देवी माँ के भिन्न-भिन्न स्वरूप हमें गूढ़ संदेश देते हैं। साध्वी जी ने बताया कि भक्ति की चरम सीमा तक पहुँचने के लिए ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना अत्यावश्यक है, जो हमारा देवी मां (अर्थात परम चेतना) के साथ चिर-स्थायी संबंध सुनिश्चित करता है।

साध्वी जी ने बताया कि ‘ब्रह्मज्ञान’ आधारित ध्यान साधना हमारे अंतःकरण से दुर्भावनाओं, अहंकार, दुःख, क्रोध व भ्रांतियों को नष्ट कर हमारे लिए एक सच्चा इन्सान बनने का मार्ग सुनिश्चित करती है। देवी मां की भांति, पूर्ण सतगुरु भी आध्यात्मिक माँ के रूप में शिष्य का हर प्रकार से आध्यात्मिक विकास सुनिश्चित करते हैं। वे जन्म-मरण के अनंत चक्रव्यूह का अंत कर मनुष्य को मुक्ति की राह पर अग्रसर कर देते हैं। 

Shrimad Devi Bhagwat Katha positioned Brahm Gyan as a pre-requisite for Spiritual Journey at Rohtak, Haryana

श्रीमद् देवी भागवत कथा का केंद्र बिन्दु रहा ‘मंथन’ (अभावग्रस्त बच्चों के लिए सम्पूर्ण विकास केंद्र)- डीजेजेएस का एक सामाजिक प्रकल्प जिसका मुख्य उद्देश्य विशेषतः अभावग्रस्त बच्चों के मूल शैक्षिक आधार को सुदृढ़ व नैतिक आचरण को उत्कृष्ट कर उन्हें शैक्षिक, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से पोषित करना है। पूजा के वास्तविक सार व भक्ति के शाश्वत मार्ग को उजागर करने में एक प्रेरणा के रूप में कार्य करने वाली इस कथा को उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने सराहा और अनेक समाचार पत्रों ने इसका उल्लेख किया।

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