हमारी सांस्कृतिक विरासत का पुनः उत्थान - यजुर्वेद में निहित एक श्लोक के अनुसार प्रतिदिन मंत्रोच्चारण करने वाला व्यक्ति निश्चित रूप से रोग व मृत्यु के भय से मुक्ति पा लेता है। आज की आधुनिक परंतु विध्वंसक जीवन शैली में वैदिक संस्कृति की महत्ता को पूर्णरूपेण समझते हुए सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के तत्वाधान में दिव्य ज्योति वेद मंदिर (DJVM) भारतीय वैदिक संस्कृति के पुनरुत्थान हेतु देशभर में "वेद मन्त्र रुद्राष्टाध्यायी पाठ" कार्यक्रम के आयोजन में संलग्न है। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए DJVM बड़े ही गर्व के साथ यह सूचित करता है कि "ऑनलाइन रुद्री पाठ कक्षाओं" की इसी श्रृंखला में 10 सितंबर 2020 से 31 नए बैचों की शुरुआत के साथ इन कक्षाओं की संख्या बढ़कर अब कुल 56 हो गई है और केवल यही नहीं अब तक समस्त भारतवर्ष की 50 शाखाओं से कुल 5800 नामांकन भी आ चुके हैं।
एक प्रसिद्ध मलय कहावत है "एक मज़बूत जड़ों वाला पेड़ तूफान पर भी हँसता है"। यह कहावत दर्शाती है कि कैसे प्रत्येक व्यक्ति स्वयं की संस्कृति से परिचित होकर जीवन रूपी तूफ़ान के बीच भी शांति और सौहार्द से रह सकता है। आज के समय में जब आधुनिकीकरण समाज के लिए एक श्राप बनती जा रही है, मानव समाज को लाभ पहुँचाने से ज़्यादा उसकी हानि कर रही है। ऐसे में दिव्य ज्योति वेद मंत्र ने यह दायित्व लिया है कि इसी आधुनिकीकरण की सहायता से भारत भूमि से उपजे वेदों के ज्ञान से जन-जन को लाभान्वित करे। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक अच्छे शिक्षक के प्रभाव को कभी नहीं मिटाया जा सकता है। ठीक वैसे ही DJVM भी अपने 50 आत्म-जागृत वेदपाठी शिक्षकों की उपस्थिति के साथ लोगों को मंत्रोच्चारण सिखा उनके हृदय व अन्तरात्माओं को वैदिक संस्कृति से ओत-प्रोत कर देने के लिए हर संभव प्रयासरत है। इसी प्रयास के तहत, DJVM गुरुदेव सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के आशीर्वाद के साथ समाज में एक नए बदलाव को लाने के लिए अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने की आशा करता है।
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