Read in English

मनुष्य अपने अंदर के खालीपन को भरने के लिए व्यसन का सहारा लेता है फिर वह व्यसन के दलदल में  स्वयं को फँसा लेता है। उसे ऐसा प्रतीत होता है कि संसार में शांति नही हैं। संसार से इस व्यसन रूपी बुराई को दूर करने के लिए दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा समय समय पर अनेक प्रकल्प चलाए गए है। इसमें से अंतरक्रांति प्रकल्प द्वारा कैदियों के धार्मिक उत्थान के लिए एक दिवसीय आध्यात्मिक प्रवचन और ध्यान सत्र फ़रवरी  4, 2020 को श्री गंगानगर सेंट्रल जेल में आयोजित किया गया।

लगभग 200 कैदी अपने दुखों से छुटकारा तथा शांति प्राप्ति के लिए इस कार्यक्रम में सम्मलित हुए। इस कार्यक्रम की शुरुआत  “प्रीत जहाँ की रीत सदा” जैसे भक्ति गीतों की श्रृंखला से हुई जिन्हें दिव्य ज्योती जागृति संस्थान की प्रचारक साध्वी गार्गी भारती तथा पुण्यप्रदा भारती ने गाया। आनंददायक और प्रेरक गीतों ने कैदियों में नवीन उत्साह भर दिया।

वक्ता स्वामी विज्ञानानंदजी ने क़ैदियों को  सामाजिक जीवन की विशेषताएं बताई। उन्होंने कहा कि सांसारिक वस्तुओं में सुख चाहने वाले लोग इच्छाओं और निराशा के दुष्चक्र में फंस जाते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि केवल ईश्वर की शरण ही मनुष्य की आत्मा और मन को शांति प्रदान करती हैं। ईश्वर को प्राप्त करने वाला मनुष्य आराम और इच्छाओं का त्याग कर देता है। सांसारिक लगाव बिना किसी प्रयास के आता है लेकिन  आंतरिक शान्ति तथा भक्ति अपने प्रयास द्वारा ही प्राप्त हो सकती हैं।अंत में, स्वामी जी ने कैदियों से ड्रग्स न लेने की प्रतिज्ञा दिलाई।

कार्यक्रम का समापन जेल प्रशासन ने कैदियों के सुधार के लिए अंर्तक्रांति द्वारा अपनाए गए अभिनव आध्यात्मिक दृष्टिकोण की सराहना के साथ किया।

Spiritual discourse and meditation session unveiled the key to eternal bliss at Central Jail, Sriganganagar

Subscribe Newsletter

Subscribe below to receive our News & Events each month in your inbox