भारतीय समाज की जड़ें बहुत गहरी हैं। इसे समझने के लिए हमें संस्कृत साहित्य का अध्ययन करना होगा। भारतीयों में संस्कृत भाषा के प्रति रूझान की कमी के चलते तथा संस्कृत की गरिमा का पुनः बोध कराने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के पावन मार्गदर्शन में दिव्य ज्योति वेद मंदिर की स्थापना की गई जिसके अंतर्गत संस्कृत भाषा की शिक्षण–प्रशिक्षण कक्षाएँ नियमित रूप से चलाई जा रही हैं। इन कक्षाओं के माध्यम से छात्रों के भाषिक दक्षता व सम्प्रेषण कौशल क्षमता का विकास किया जा रहा है। वर्तमान कोरोना महामारी के चलते कुछ समय से ये कक्षाएँ आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए ऑनलाइन ही आयोजित की जा रही हैं ताकि भौतिक दूरी का पालन किया जा सके।
इसी कड़ी में दिव्य ज्योति वेद मंदिर की ओर से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के मंथन-सम्पूर्ण विकास केंद्र प्रकल्प के कार्यकर्ताओं के लिए 9 अगस्त 2020 से संस्कृत संभाषण की विशिष्ट ऑनलाइन कक्षाएँ चलायी जा रही हैं जिनमें विद्यार्थियों को परस्पर संस्कृत संवाद से संबन्धित विषयों को विस्तृत रूप से सीखाया जा रहा है । इन सत्रों में विद्यार्थियों को शुद्ध, सरल, स्पष्ट एवं प्रभावशाली तरीकों से संस्कृत भाषा में संभाषण करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन कक्षाओं का सञ्चालन संस्कृत भारती के दिल्ली प्रान्त के शिक्षा प्रमुख डॉ.विजय सिंह के द्वारा किया जा रहा है।
इन कक्षाओं का उद्देश्य यही है कि कोरोना संकट के समय लोग अपने समय का सदुपयोग करते हुए देश की महान वैदिक संस्कृति से परिचित हो सकें और आर्य राष्ट्र के गौरव को पुनः स्थापित कर सकें।