अहमदाबाद. समाज के अध्यात्मिक संरक्षकों ने देशभर में व्याप्त पर्यावरण संकट से लड़ने का बीड़ा उठाया. श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संचालित एवं संस्थापित, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने अपने पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प- संरक्षण के अंतर्गत 9 जून 2019 को दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम, राजपथ रंगोली रोड, बोडकदेव में प्रकृति संरक्षण हेतु समर्पित एक विशेष सामाजिक- सांस्कृतिक व अध्यात्मिक कार्यक्रम – ‘ॐ द्यौः शान्ति’ का आयोजन किया। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य मे आयोजित यह कार्यक्रम समाज को एक बार फिर वेद कालीन भारत के अति उन्नत संरक्षण सिद्धांतों से अवगत करवाना था।
संस्थान की पर्यावरण मुहिम की ओर अपना सहयोग प्रकट करते हुए, माननीय उप मुख्य मंत्री श्री नितिन भाई पटेल कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के रूप मे समिलित हुये। प्रकृति के प्रति संवेदनशील शहर के प्रबुद्ध जन- श्री चिंतनभाई उपाध्याय , प्रांत प्रचारक, आर. एस.एस., गुजरात, आर. एस.एस; श्री हनुमानप्रसाद गुप्ता, प्रमुख समाजसेवी, श्री राजकुमार अग्रवाल, श्री श्याम एंटरप्राइस, श्री शांति भाई_प्रांत सहकार्यवाहक, आर. एस.एस., गुजरात; श्री अशोक भाई पटेल, क्षेत्रीय प्रमुख, वी.एच.पी.; श्री शैलेश भाई पटेल, प्रांत सहकार्यवाह, आर. एस.एस., गुजरात, डॉ. रामकुमार बाल्यान, डायरेक्टर, संत कबीर इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज़; श्रीमति पुष्पा बिंदल, चिरिपाल इंडस्ट्रीज़; श्रीमति इंद्रा गुप्ता, ऑनेस्ट रैस्टौरेंट; श्री सोमनाथ गुप्ता, अध्यक्ष श्री महाराजा अग्रसेन सेवा संस्थान; श्री शरद अगरवाल, अध्यक्ष, पीर पराई फ़ाउंडेशन; श्री वजूभाई वघासिया, पूर्व अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, आर. एस.एस; श्री दिलीप भाई पबानी, संघचालक, नारनपुरा महानगर, आर. एस.एस., नरनपुरा और श्री देवेंद्र जानी, प्रमुख- धर्म जागरण, महानगर कर्णावती भी कार्यक्रम मे समिलित हुये व उन्होने दीप प्रज्वलन की पावन विधि को सम्पन्न किया।
पर्यावरण संरक्षण हेतु वैदिक विज्ञान की जाग्रति का आवाहन करता यह कार्यक्रम ज्ञान विज्ञान और मूधर संगीत से ओत प्रोत – एक पावन भजन संध्या से प्रारम्भ हुआ । संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी मणिमाला भारती जी ने भजन संध्या का मंच संचालन करते हुये उपस्थित अतिथियों को ऋग वेद उक्त शांति मंत्र- ‘ॐ द्यौः शान्ति’ का गूढ अर्थ समझाया एवं प्राचीन भारत को अति- उन्नत बनाने वाले व मानव को चिरस्थाई शांति प्रदान करने वाले महान ज्ञान- ब्रह्मज्ञान के संदर्भ मे विस्तार से बताया।
बढ़ती पर्यावरण समस्या पर चर्चा करते हुये, संस्थान के पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प – संरक्षण की अध्यक्षा साध्वी अदिति भारती जी ने कहा कि- “यूं तो साल भर मे कुल 50 ऐसे दिन हैं जिनहे पर्यावरण के अलग- अलग पक्षों को समर्पित किया गया है परंतु आज भी यह संकट बढ़ता जारहा है। आज अब आवश्यकता है कि हम रुख करें उस प्राचीन भारत कि ओर जहां प्रगति और प्रकृति एक साथ आगे बढ़ते थे।” इसी तथ्य को प्रकट करते हुए, प्राचीन भारत कि ही एक विलक्षण केस- स्टडी को दुर्गम वध नामक नाट्य के माध्यम से संस्थान के निस्वार्थ रूप से सेवारत युवाओं ने प्रस्तुत किया।
समस्या से समाधान तक ले जाते इस नाट्य प्रस्तुति को देख कर उपस्थित अतिथियों कि आँखें कभी आंसुओं से नम हुई तो कभी आश्चर्य से दंग हुई। श्री आशुतोष महाराज जी कि एक अन्य शिष्या साध्वी दर्शिता भारती ने लोगों को पर्यावरण संरक्षण हेतु जीवनशैली परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हुए भारतीय जीवनशैली मे पिरोई हुई कई पर्यावरण अनुकूल आदतों से अवगत करवाया।
भारतीय जीवनशैली की इन्हीं पर्यावरण अनुकूल आदतों को प्रोत्साहित करने हेतु संस्थान ने एक विशेष डिजिटल मूहिम #EkachiAadat को आकार दिया। इस विशेष अवसर पर माननीय उप मुख्यमंत्री श्री नितीन भाई पटेल व श्री चिंतनभाई उपाध्याय, श्री हनुमानप्रसाद गुप्ता एवं श्री राजकुमार अग्रवाल ने इस मूहीम का उदघाटन किया।
इसके साथ कार्यक्रम के अंत मे लगभग 1000 तुलसी के पौधे जनमानस को बाटे गये। साथ ही मे एक विशेष संरक्षण प्रदर्शनी भी लगाई गयी। अंत मे एक अच्छी आदत मूहीम से प्रभावित हो आए हुये लोगों ने जीवन शैली परिवर्तन का संकल्प किया।
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, जिसके संस्थापक एवं संचालक परम पूजनीय श्री आशुतोष महाराज जी हैं, एक विलक्षण सामाजिक - आध्यात्मिक संस्था है, जो विश्व शांति के बृहद लक्ष्य को स्थापित करने हेतु कार्यरत है। संस्थान अपने विशिष्ट वीजन (vision/दिगदृष्टि) "आत्मजाग्रति से विश्व शांति" के आधार पर आत्मिक जागरण से व्यक्तिगत सशक्तिकरण को ही समाज की विभन्न समस्याओं के अचूक समाधान के रूप में देखता है। व्यावहारिक रूप से इसी सिद्धान्त को संस्थान ने अपने 9 सामाजिक प्रकल्पों मे जीवंत किया है और समाज की लगभग सभी समस्याओं, चाहे वह बंधी सुधार कार्य हो, नशा मुक्ति , सम्पूर्ण स्वास्थ्य, अभावग्रस्त वर्गों के बच्चों का सम्पूर्ण शिक्षण, नेत्रहीन व विकलांगों का सशक्तिकरण, लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण हो या फिर पर्यावरण संरक्षण , देसी गाय का संरक्षण एवं संवर्धन, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन और कृषि तंत्र मे सुधार इत्यादि के समाधान प्रदान कर रहा है।
इन्हीं सामाजिक प्रकल्पों की कड़ी मे, विशव्यापी पर्यावरण संकट के प्रतिउत्तर मे संस्थान ने लगभग 12 वर्ष पूर्व एक विशिष्ट पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प- संरक्षण की नीव रखी। चिरस्थाई पर्यावरण संरक्षण की ओर लक्षित यह प्रकल्प मानव- प्रकृति के धूमिल होते संबंध की पुनर्स्थापना के लिए कार्यरत है।