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समाज के अध्यात्मिक संरक्षकों ने समाज को बड़ती पर्यावरण समस्या के संदर्भ मे जागरूक करने का बीड़ा उठाया। श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संचालित एवं संस्थापित, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान  ने अपने पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प- संरक्षण के अंतर्गत 11 जून 2019 को राजमाता विजया राजे सिंधिया ऑडिटोरियम, डुंगरपुर में प्रकृति संरक्षण हेतु समर्पित एक विशेष सामाजिक- सांस्कृतिक व अध्यात्मिक कार्यक्रम - ’ॐ द्यौः शान्ति का आयोजन किया। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष मे आयोजित इस कार्यक्रम का उदेश्य समाज को एक बार फिर वेद कालीन भारत के अति उन्नत संरक्षण सिद्धांतों से अवगत करना था।

WED 2019| DJJS Dungarpur invokes Vedic wisdom to achieve sustainable environmental solution

डिस्ट्रिक्ट मैजिस्ट्रेट व डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर, डुंगरपुर श्री चेतन देओरा जी व डिस्ट्रिक्ट जज फॅमिली कोर्ट व अड़िशनल डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज, डुंगरपुर, श्री मंशाराम सुथार जी  मुख्य अतिथि के रूप मे व वन उप- संरक्षक डॉ एस. सारथ बाबू (आई.एफ.एस), सभापति नगर परिषद, श्री के.के. गुप्ता, क्षेत्रीय अधिकारी, वायु प्रदूषण नियंत्रण विभाग श्री बी.आर. पंवार जी व युवरानी राजदरबर डुंगरपुर, श्रीमति प्रियदर्शिनी जी विशेष अतिथि के रूप मे कार्यक्रम मे सम्मिलित हुये व दीप प्रजावलन की विधि को सम्पन्न किया।

पर्यावरण संरक्षण हेतु वैदिक विज्ञान की जाग्रति का आवाहन करता यह कार्यक्रम ज्ञान विज्ञान और मूधर संगीत से ओत प्रोत एक पावन भजन संध्या से प्रारम्भ हुआ । संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी मणिमाला भारती जी ने भजन संध्या का मंच संचालन करते हुये उपस्थित अतिथियों को वेद उक्त शांति मंत्र- ’ॐ द्यौः शान्ति का गूढ अर्थ समझाया एवं प्राचीन भारत को अति उन्नत बनाने वाले व मानव को चिरस्थाई शांति प्रदान करने वाले महान ज्ञान- ब्रह्मज्ञान के संदर्भ मे विस्तार से बताया।

WED 2019| DJJS Dungarpur invokes Vedic wisdom to achieve sustainable environmental solution

बड़ती पर्यावरण समस्या पर चर्चा करते हुए संस्थान के पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प – संरक्षण की अध्यक्षा साध्वी अदिति भारती जी ने कहा कि- “यूं तो साल भर मे कुल 50 ऐसे दिन हैं जिन्हें पर्यावरण के अलग- अलग पक्षों को समर्पित किया गया है परंतु आज भी यह संकट बढ़ता जारहा है। आज आवश्यकता है कि हम रुख करें उस प्राचीन भारत कि ओर जहां प्रगति और प्रकृति एक साथ आगे बढ़ते थे।” इसी तथ्य को प्रकट करते हुए, प्राचीन भारत कि ही एक विलक्षण केस- स्टडी को दुर्गम वध नामक नाट्य के माध्यम से संस्थान के निस्वार्थ रूप से सेवारत युवाओं ने प्रस्तुत किया।

समस्या से समाधान तक ले जाते इस नाट्य प्रस्तुति को देख कर उपस्थित अतिथियों कि आँखें कभी आंसुओं से नम हुई तो कभी आश्चर्य से दंग हुई। संस्थान की डुंगरपुर शाखा की अध्यक्षा साध्वी सुश्री भागीरथी भारती जी ने लोगों को पर्यावरण संरक्षण हेतु जीवनशैली परिवर्तन के लिए प्रेरित करते हुए भारतीय जीवनशैली मे पिरोई हुई कई पर्यावरण अनुकूल आदतों से अवगत करवाया।

भारतीय जीवनशैली की इन्हीं पर्यावरण अनुकूल आदतों को प्रोत्साहित करने हेतु संस्थान ने एक विशेष डिजिटल मूहीम #EkachiAadat को आकार दिया। इस विशेष अवसर पर माननीय अतिथियों ने मूहीम का पोस्टर दिखा कर इसका उदघाटन किया।

मुख्य अतिथि माननीय श्री चेतन देओर जी ने अपने सम्बोधन मे संस्थान की इस विलक्षण मूहीम की भूरी- भूरी प्रशंसा की व सभासदों को बढ़ चड़ कर प्रकृति संरक्षण हेतु कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री मनशाराम सुथार जी ने कहा, “बदलते जमाने के साथ हम अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, इस कार्यक्रम ने अवश्य ही लोगों मे संस्कृति के प्रति गर्व व उससे प्रेरित पर्यावरण संभाल की भावना को पैदा किया होगा। संस्थान की यह पहल सरहनीय है।” सभापति नगर परिषद श्री के.के. गुप्ता जी जो बड़ चड़ कर डुंगरपुर को स्वच्छ व हरा- भरा बनाने मे कार्यरत हैं उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए संस्थान का धन्यवाद किया व डुंगरपुर वासियों से बड़- चड़ कर ग्रीन- डुंगरपुर को साकार करने की अपील की। वायु प्रदूषण नियंत्रण विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी श्री बी.आर. पवार जी ने भी लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित किया।

कार्यक्रम को अंत की ओर ले जाते हुए संस्थान के अध्यक्ष स्वामी आदित्यानंद जी ने सभी अतिथियों व समस्त डुंगरपुर वासियों का धन्यवाद किया व नगर परिषद की प्रशंसा करते हुए सभी लोगों को आगे बड़ कर संरक्षण कार्य मे जुट जाने के लिए प्रेरित किया।

इस कार्यक्रम मे लगभग 700 पौधे जनमानस को बाटे गये। साथ ही एक विशेष संरक्षण प्रदर्शनी भी लगाई गयी। अंत मे एक अच्छी आदत मूहीम से प्रभावित हुए लोगों ने जीवनशैली परिवर्तन का संकल्प उठाया।

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, जिसके संस्थापक एवं संचालक परम पूजनीय श्री आशुतोष महाराज जी हैं, एक विलक्षण सामाजिक - आध्यात्मिक संस्था है, जो विश्व शांति के बृहद लक्ष्य को स्थापित करने हेतु कार्यरत है संस्थान अपने विशिष्ट वीजन (vision/दिगदृष्टि) "आत्मजाग्रति  से विश्व शांति" के आधार पर आत्मिक जागरण से व्यक्तिगत सशक्तिकरण को ही समाज की विभन्न समस्याओं के अचूक समाधान  के रूप में देखता है व्यावहारिक रूप से  इसी सिद्धान्त को संस्थान ने अपने 9 सामाजिक प्रकल्पों मे जीवंत किया है और समाज की लगभग सभी समस्याओं, चाहे वह बंधी सुधार कार्य हो, नशा मुक्ति  , सम्पूर्ण स्वास्थ्य, अभावग्रस्त वर्गों के बच्चों का सम्पूर्ण शिक्षण, नेत्रहीन व विकलांगों का सशक्तिकरण, लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण हो या फिर पर्यावरण संरक्षण , देसी गाय का संरक्षण एवं संवर्धन, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन और कृषि तंत्र मे सुधार इत्यादि के समाधान प्रदान कर रहा है

इन्हीं सामाजिक प्रकल्पों की कड़ी मे, विशव्यापी पर्यावरण संकट के प्रतिउत्तर मे संस्थान ने लगभग 12 वर्ष पूर्व एक विशिष्ट पर्यावरण संरक्षण प्रकल्प- संरक्षण की नीव रखीचिरस्थाई पर्यावरण संरक्षण की ओर लक्षित यह प्रकल्प मानव- प्रकृति के धूमिल होते संबंध की पुनर्स्थापना के लिए कार्यरत है

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