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“मन की सबसे उच्च अवस्था ध्यान द्वारा प्राप्त की जा सकती है- स्वामी विवेकानंद”

A Spiritual Program Suno Pathik at Dabwali Malko Ki, Punjab, Revitalised the Spirit of Devotees on the Divine Path

भक्ति पथ पर बढ़ रहे अनुयायियों में उत्साह बढ़ाने हेतु दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 1 मई 2022 को डबवाली मल्को की, पंजाब में एक अनूठा आध्यात्मिक कार्यक्रम ‘सुनो पथिक’ का आयोजन किया गया। यह आध्यात्मिक कार्यक्रम भक्तों के लिए एक स्पष्ट आह्वान था, ताकि उनका शिष्यत्व अपने लक्ष्य से न भटके। भावपूर्ण भजनों की श्रृंखला द्वारा छितरती दिव्य तरंगों ने उपस्थित लोगों के हृदयों में ऊर्जा व उत्साह का संचार किया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के प्रचारक शिष्य स्वामी नीरजानंद जी ने युवाओं और वृद्धों को समान रूप से संबोधित करते हुए अन्तःकरण को झकझोरने वाले प्रवचन दिए।

स्वामी जी ने बाहरी दुनिया में व्याप्त नकारात्मकता, युद्ध और घृणा के वर्तमान माहौल की व्याख्या करते हुए बताया कि इसका सीधा सीधा संबंध मनुष्य के भीतर में व्याप्त अवसाद, भय और बेचैनी से है। और इससे मुक्ति के लिए व निरंतर शांति हेतु ब्रह्मज्ञान का ही एकमात्र सर्वोच्च मार्ग अनिवार्य है। ब्रह्मज्ञान आधारित ध्यान का अभ्यास ही सभी परेशानियों के मूल कारण ‘मानवीय मन’ के रोग का रामबाण समाधान है। मन इतना अधिक शक्तिशाली है कि वह मानव को हिमालय जैसे ऊँचे शिखर पर पहुंचा सकता है और दूसरे ही पल उसे गर्त में गिरा सकता है। जब मन केवल भौतिक संसार की ओर भागता है, तो विनाश करता है; परन्तु जब यही मन ईश्वर की वास्तविक साधना में लग जाता है, तो आत्मिक उत्थान का सोपान बनता है। सतगुरु या पूर्ण गुरु वह दिव्य नाविक हैं, जो माया सागर से मन को पार ले जाने में सक्षम हैं। जो शिष्य सतगुरु के प्रति समर्पित होता है, सतगुरु उसके मन की शुद्धिकरण की प्रक्रिया को पूर्ण करते हैं।

A Spiritual Program Suno Pathik at Dabwali Malko Ki, Punjab, Revitalised the Spirit of Devotees on the Divine Path

स्वामी जी ने साधकों को स्मरण करवाया कि श्री आशुतोष महाराज जी ने हमारे आध्यात्मिक उत्थान हेतु अनेक प्रयास किए हैं व अनमोल कृपा बरसाई है। इसलिए आज प्रत्येक शिष्य का कर्तव्य है कि वह अपना ध्यान सदैव लक्ष्य पर केंद्रित रखे, और व्यर्थ चिंताओं व बातों पर अपना कीमती समय तथा ऊर्जा न गंवाए। जीवन से तनाव को समाप्त करने के लिए परम लक्ष्य “ईश्वर” की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। भक्ति मार्ग पर चलते हुए, एक भक्त को आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करना चाहिए कि वह अपने पूज्य गुरुदेव के साथ आध्यात्मिक, भावनात्मक और मानसिक स्तर पर कितनी मजबूती से जुड़ पाया है? सामूहिक ध्यान सत्र और व्यापक रूप से विश्व कल्याण तथा शांति के लिए प्रार्थना के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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