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भगवान श्रीकृष्ण, सबसे पूजनीय अवतारों में से एक, भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को आज भी गहराई से प्रभावित करते हैं। उनका जीवन हर पीढ़ी के लोगों के लिए दिव्य प्रेरणा का स्रोत रहा है। उन्हीं के दिव्य अवतरण के उपलक्ष्य में, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी (संस्थापक एवं संचालक, डीजेजेएस) की प्रेरणा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 16 अगस्त 2025, शनिवार को दिव्य धाम आश्रम, दिल्ली में श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव 2025 का भव्य आयोजन किया गया।

DJJS celebrated Shri Krishna Janmashtami Mahotsav 2025 with profound divinity & spiritual grandeur at Divya Dham Ashram, Delhi

इस भव्य समारोह में हज़ारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जो श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्ति हेतु एकत्रित हुए। कार्यक्रम की शोभा को बढ़ाते हुए कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति भी रही, जिनमें श्रीमती रेखा गुप्ता जी (मुख्यमंत्री, दिल्ली), श्री अशोक गुप्ता जी (सहमंत्री, विश्व हिंदू परिषद), श्री महाबल मिश्रा जी (पूर्व सांसद, द्वारका), श्री पवन जी (विधायक, खरखौदा), श्री श्याम शर्मा जी (विधायक, हरी नगर), श्रीमती शिखा भारद्वाज जी (नगर पार्षद, दिल्ली नगर निगम), श्री जगदीश यादव जी (भा.ज.पा) एवं श्री सत्य नारायण गौतम जी (भा.ज.पा), श्रीमती शोभा विजेंद्र गुप्ता जी (अध्यक्षा, सम्पूर्ण एनजीओ) एवं अन्य विशिष्ट अतिथिगण शामिल थे।

कार्यक्रम का शुभारंभ दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के ब्रह्मज्ञानी वेदपाठी शिष्यों द्वारा वैदिक मंत्रों के विशुद्ध उच्चारण से हुआ, जिसने वातावरण को आध्यात्मिक तरंगों से स्पंदित कर दिया।

DJJS celebrated Shri Krishna Janmashtami Mahotsav 2025 with profound divinity & spiritual grandeur at Divya Dham Ashram, Delhi

कार्यक्रम की विलक्षणता दिखाई दी मंच पर प्रस्तुत की गईं अद्भुत नृत्य-नाटिकाओं के माध्यम से, जिन्होंने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। डिजिटल टेक्नोलॉजी, उत्तम कोरियोग्राफी, श्रीकृष्ण के जीवन की प्रमुख लीलाओं पर आधारित प्रासंगिक व सारगर्भित स्क्रिप्ट – इन सब विशेषताओं को लिए, एक-एक प्रस्तुति ने दर्शकों के हृदयों पर अमिट छाप छोड़ी।

साथ ही, दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के संन्यासी शिष्यों द्वारा आज श्री कृष्ण से जुड़ी भ्रांतियों को, उन पर लगे मिथ्या आक्षेपों को लॉजिकल, वैज्ञानिक व शास्त्रों के आधार पर सरासर निराधार सिद्ध किया गया। दिव्य गुरुदेव की प्रेरणा से रखे गए एक-एक विचार ने श्रीकृष्ण की लीलाओं में निहित गूढ़ ज्ञान को सरलता से समझाया और इसकी समकालीन दुनिया में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। जैसे कि रासलीला, जिसे प्रायः गलत समझा जाता है, वास्तव में यह ईश्वर और भक्तों के बीच शुद्ध, निष्काम प्रेम की अनुभूति है। यह भक्ति योग की सर्वोच्च अवस्था का प्रतीक है, जहाँ समर्पण अहंकार का विनाश कर आत्मिक एकता की ओर ले जाता है। इसी प्रकार, जब श्रीकृष्ण ने युद्ध भूमि छोड़ दी और "रणछोड़" कहलाए, इस घटना को भी विस्तार से स्पष्ट किया गया। यह निर्णय कायरता नहीं बल्कि करुणा व दूरदर्शिता का प्रतीक था। श्रीकृष्ण ने मथुरा के नागरिकों की रक्षा हेतु उन्हें स्थानांतरित करना सुनिश्चित किया था और उन्हें द्वारका ले जाने का राजनीतिक निर्णय लिया था। महाभारत में श्री कृष्ण ने एक दिव्य मार्गदर्शक के रूप में धर्म की स्थापना की। अर्जुन को दिया गया उनका उपदेश "श्रीमद्भगवद् गीता" आज भी सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक ग्रंथों में से एक है। गीता हमें कर्तव्य, वैराग्य और निष्काम कर्म का शाश्वत संदेश देती है। अर्जुन की भांति, हमें भी एक पूर्ण गुरु से जब दिव्य दृष्टि प्राप्त होती है, तब हम भी अपने जीवन के निर्णयों को पूरे विवेक से ले पाते हैं और अपना जीवन सफल करते हैं।

दिशाहीनता से जूझते युवाओं से लेकर ज़िम्मेदारियों को निभाते वयस्कों तक, और आत्मिक पूर्णता की तलाश में लगे जिज्ञासुओं तक, श्रीकृष्ण का जीवन सभी के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। उनका उपदेश 'कर्म किए जाओ, फल की चिंता मत करो', आज भी उद्देश्यपूर्ण जीवन और आंतरिक शांति के लिए प्रेरणास्रोत बना हुआ है। आज विश्वभर में श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा ब्रह्मज्ञान में दीक्षित असंख्य साधक इस उपदेश को अक्षरशः जी रहे हैं।

इस कार्यक्रम का डी-लाइव प्रसारण डीजेजेएस के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर किया गया, जिसे देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं ने देखा। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी इसे व्यापक कवरेज प्राप्त हुई। कार्यक्रम का समापन आध्यात्मिक प्रेरणा और उत्साह के साथ हुआ। उपस्थित श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को जीवन में उतारकर सद्भाव और आध्यात्मिक उत्कर्ष की ओर अग्रसर होने का संकल्प लिया, जो वास्तव में मानव जीवन का सच्चा सार है।

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