भारतीय संविधान जो कि भारत का सर्वोच्च विधान है, संविधान सभा के द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ। संविधान की प्रस्तावना में संप्रभुता, समाजवादी , पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक, एकता एवं अखण्डता की विचार धारा को व्यक्त किया गया है। इसके अतिरिक्त प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय तथा अभिव्यक्ति, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता की भी बात राखी गई है। भारत वासियों को संविधान द्वारा प्रदत्त अपने अधिकारों का बोध हो इसके लिए भारतीय संविधान की पूर्ण रूपेण जानकारी होना अति आवश्यक है। वर्तमान पीढ़ी को संविधान के महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराने तथा अपने अधिकारों की रक्षा हेतु जागरूक करने के लिए मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र ने 19 अप्रैल 2021 को मंथन-संपूर्ण विकास केंद्र के छात्र-छात्राओं लिए एक विशेष वेबिनार का आयोजन किया, जिसका विषय था- "Indian Constitution For children of Manthan"।
सत्र की अध्यक्षता माननीय शशांक शेखर जी ने की। शेखर जी सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया में वकील के पद पर कार्यरत है तथा "CRACR & PD" के संस्थापक होने के साथ-साथ "दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग" के सदस्य के पद पर भी कार्य कर चुके है। सत्र का लाभ लेने के लिए मंथन वालंटियर्स एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे। शेखर जी ने भारतीय संविधान तथा संविधान में वर्णित सभी तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए इसकी पृष्ठभूमि, कमियों, शक्तियों एवं दुरुपयोग के विषय में सभी को अवगत कराया। इसके अतिरिक्त संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों को समझने के लिए चलायी गयी पहल के विषय में सबके समक्ष रखते हुए महोदय जी ने मंथन के सभी छात्रों को अपने अधिकारों को समझने एवं अधिकारों की रक्षा हेतु आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित किया।
सत्र को समापन की ओर ले जाते हुए प्रश्नोत्तर गतिविधि के माध्यम से छात्र-छात्राओं के संविधान से जुड़े सभी संशयों का निवारण किया गया। अतिथि महोदय एवं छात्र-छात्राओं के मध्य दो तरफ संचार के माध्यम से कई महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे रंग के आधार पर भेद एवं राजनीति का प्रभाव पर विस्तार से विचार विमर्श किया गया।