"आत्म-प्राप्ति कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि सभी मनुष्यों का अधिकार है। प्रत्येक मानव के पास अपने भीतर ही परमात्मा के दिव्य दर्शन करने का अधिकार है। "
-श्री आशुतोष महाराज जी
आत्म-प्राप्ति के इस संदेश को फैलाने के लिए, दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने पंजाब के पठानकोट में 13 अप्रैल से 21 अप्रैल 2018 तक 9 दिवसीय श्रीमद्देवीभागवत कथा को आयोजित किया। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी त्रिपदा भारती जी ने कथा का सरस व प्रभावशाली वाचन किया|
कथा का शुभारंभ मंगल कलश यात्रा से हुआ| वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ सौभाग्यवती महिलाओं ने शीश पर मंगल कलश धारण किए| क्षेत्रवासियों के लिए यह कलश यात्रा एक प्रकार से कार्यक्रम का खुला निमंत्रण रहा। इस यात्रा ने दिव्य सकारात्मक वातावरण बनाया। देवी मां के श्री चरणों में प्रार्थना से कथा की शुरूआत हुई। साध्वी त्रिपदा भारती जी ने श्रीमद्देवीभागवत से बहुत से आध्यात्मिक दृष्टांत सुनाते हुए भक्तों के मन में भक्ति की भावनाओं को उजागर किया। उन्होंने प्रत्येक रूप के महत्व को समझाते हुए देवी मां के विभिन्न अवतारों का उल्लेख भी किया। उन्होंने देवी के एक अवतार ‘माँ काली’ के बारे में विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की| विनाश और शक्ति की देवी कही जाने वाली ‘माँ काली’ ने पृथ्वी से दुष्प्रवितियों और बुराई का खात्मा किया|
साध्वी जी ने देवी के विभिन्न रूपों की कथाओं को सुनाते हुए आज की दुनिया में महिलाओं की दुर्दशा को बड़े मार्मिक ढंग से छुआ। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि एक मां पोषण करने वाली और विनाशक दोनों हो सकती है। पोषण करने वाली एक महिला अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान की रक्षा व स्थापना हेतु काली का रूप भी ले सकती है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के बारे में चर्चा करते हुए साध्वी जी ने दोहराया कि महिलाओं को अपनी अंतर्निहित शक्ति का एहसास होना चाहिए और हर चुनौती के सामने डटकर खड़े रहना चाहिए।
उन्होंने संस्थान के लिंग समानता कार्यक्रम ‘संतुलन’ के तहत समाज में महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रयासों के बारे में भी बात की|
साध्वी जी ने समाज के सभी अपराधों और महिलाओं के प्रति असमानता को खत्म करने की। आवश्यकता पर बल दिया| इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक इंसान ईश्वर से भीतर ही जुड़ जाए| अंतर्मन में क्रांति आंदोलित करने का एकमात्र तरीका आत्म-प्राप्ति ही है, जिसे ‘ब्रह्मज्ञान’ कहते हैं। केवल एक सच्चे आत्मज्ञानी पूर्ण आध्यात्मिक सतगुरु ही इस दैवीय ज्ञान को एक व्यक्ति में उजागर कर सकते हैं।
साध्वी जी ने कथा के माध्यम से ब्रह्मज्ञान के संदेश को उपस्थित लोगों तक सफलतापूर्वक पहुंचाया और उन्हें दिव्यता का साक्षात्कार करने के लिए प्रेरित भी किया। श्री आशुतोष महाराज जी के समर्पित संगीतकार प्रचारक शिष्य व शिष्याओं द्वारा प्रस्तुत किए गए सुन्दर सुमधुर भजनों से शांतिपूर्ण दिव्य वातावरण बनाया।
बड़ी तादात में उपस्थित हजारों लोगों से कार्यक्रम को बड़ी सफलता मिली। सभी लोगों को आत्मबोध के लिए उत्साहित करते हुए कथा आयोजन 'हवन' के साथ सम्पन्न हुआ|