श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव पूरे भारतवर्ष में अपार हर्ष और भक्तिभाव से मनाया जाता है। यह केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का स्मरण मात्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान, सांस्कृतिक सौंदर्य और भावपूर्ण भक्ति से सराबोर एक जीवंत उत्सव है। प्रत्येक वर्ष दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस), इस पर्व को जीवन्त रूप देता है, जिससे आगंतुकों को “जगद्गुरु” श्रीकृष्ण की कालजयी शिक्षाओं से अनुपम प्रेरणा प्राप्त होती है।

इस वर्ष, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 16 अगस्त 2025 को दिव्य दर्शन भवन, नूरमहल आश्रम, पंजाब में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव - "कृष्णं वंदे जगद्गुरुम" का भव्य आयोजन किया गया। यह अवसर प्रेरणादायक आध्यात्मिक प्रवचनों और भावपूर्ण भक्ति गीतों के मधुर संगीत से सुसज्जित था, जिसे हजारों श्रद्धालुओं की उमंग और ऊर्जा ने और भी जीवंत कर दिया।
डीजेजेएस के भक्ति भाव से सराबोर निःस्वार्थ कार्यकर्ताओं ने इस आयोजन की सम्पूर्ण योजना बनाने से लेकर इसके संचालन तक का समस्त कार्य सफलता पूर्वक संपन्न किया। इसका उद्देश्य केवल श्रीकृष्ण कथा की पुनरावृत्ति करना नहीं था, बल्कि लोगों को आत्म-जागरूक बनाने और उनको अपने भीतर आंतरिक रूपांतरण की यात्रा आरंभ करने के लिए प्रेरित करना था।

महोत्सव का एक मुख्य आकर्षण श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्यों द्वारा दिए गए आध्यात्मिक प्रवचन थे। क्योंकि ये औपचारिक व्याख्यान मात्र नहीं थे बल्कि श्रीमद्भगवद्गीता के उपदेशों को आज के जीवन की परिस्थितियों में प्रासंगिक बनाने वाले सारगर्भित संवाद थे। प्रवक्ता ने रीतियों से परे, जागृति का अनुभव लिए हुए ‘ब्रह्मज्ञान’ अर्थात आत्म-जागृति का वह ज्ञान समझाया, जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को प्रदान किया था। उन्होंने श्रोताओं से यह भी प्रश्न किया कि “कृष्ण जन्म लें यदि आज, तो पहचानोगे कैसे आप?”, जिससे उपस्थित जन यह सोचने को प्रेरित हुए कि वे श्रीकृष्ण के मूल्यों को वर्तमान जीवन में कैसे उतार सकते हैं।
इस उत्सव की विशेषता यह भी रही कि इसने श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को आधुनिक समय की चुनौतियों से जोड़ा। “दर्शन इतिहास का, परिवर्तन आज का” जैसे विषय-आधारित प्रस्तुतीकरणों ने गीता के संदेश को मानसिक स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सौहार्द जैसे मुद्दों के साथ जोड़ते हुए उसकी आज की प्रासंगिकता को उजागर किया।
चाहे सम्मानित गणमान्य हों या स्थानीय भक्त, महोत्सव में सभी का स्वागत किया गया, यह दर्शाते हुए कि श्रीकृष्ण के प्रेम, साहस और करुणा का संदेश सर्वजन के लिए है।
रंग-बिरंगी सजावट, भक्ति गीतों और रीतियों से ऊपर उठ इस महोत्सव का मूल उद्देश्य लोगों को कृष्ण को केवल “मानने” भर से आगे बढ़ वास्तव में अपने भीतर कृष्ण तत्त्व (चेतना) का अनुभव कराना था। अनुष्ठानों, ध्यान सत्रों और ब्रह्मज्ञान के पंजीकरण जैसे अवसरों के माध्यम से अनेक भक्तों ने गीता के अर्जुन की भांति अपनी आत्मिक जागृति की दिशा में पहला कदम बढ़ाया।
परंपरा और परिवर्तनकारी संदेशों के सुंदर मिश्रण के साथ, डीजेजेएस के इस महोत्सव ने सुनिश्चित किया कि भगवान श्रीकृष्ण का कालातीत संदेश वर्ष 2025 में भी उतना ही जीवंत, प्रभावशाली और प्रासंगिक बना रहे।
जैसे ही कृष्णं वंदे जगद्गुरुम के पावन जयघोष की गूंज चारों ओर उठी, उसने केवल स्मृतियां ही नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में जगद्गुरु की ज्ञानधारा को आगे बढ़ाने का संकल्प भी जगा दिया।