'महाकुंभ 2025' के शुभ अवसर पर शांति, करुणा व सार्वभौमिक भाईचारे पर बल देने वाले 'सनातन धर्म' के मूल सिद्धांतों को कलात्मक रूप से प्रदर्शित करने हेतु, 'दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान' द्वारा 22 जनवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में भक्ति, कला और आध्यात्मिक जाग्रति का एक दिव्य संगम - 'दिव्य ज्योति चलचित्रम सीरीज 1'- एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला 'नाट्योत्सव- थिएट्रिकल एक्सक्लूसिव' आयोजित किया गया। श्रृंखला के अंतर्गत, "ॐ द्यौः शांति" नामक एक नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें मनोरम नाटकीयता के साथ वैदिक शिक्षाओं और उनमें निहित गूढ़ ज्ञान को बड़े रोचक ढंग से दर्शाया गया। इस नाटक ने उपस्थित भक्तों व आध्यात्मिक जिज्ञासुओं की विशाल सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया। संस्थान के संस्थापक व आध्यात्मिक गुरु, श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्यमार्गदर्शन में, डीजेजेएस सनातन धर्म के शाश्वत मूल्यों का पथप्रदर्शक रहा है। 'ॐ द्यौः शांति' के माध्यम से प्रस्तुत किए गए प्रभावशाली वर्णन और गूढ़ आध्यात्मिक ज्ञान ने दर्शकों को आत्मज्ञान की यात्रा का शुभारम्भ करने और व्यक्तिगत व वैश्विक सद्भाव को उत्पन्न करने हेतु सनातन विज्ञान ‘ब्रह्मज्ञान’ को प्राप्त की प्रेरणा प्रदान की।

नाटक का विषय 'ॐ द्यौः शांति' वास्तव में सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों की पहचान है, जो सच्ची भक्ति की परिवर्तनकारी शक्ति पर बल देता है। नाटक के कलाकारों, जिनमें डीजेजेएस के निस्वार्थ कार्यकर्त्ता शामिल थे, ने प्रमाणिकता व भक्ति भावों से ओतप्रोत आत्मा को झकझोर देने वाला प्रदर्शन किया। मधुर भजनों व मंत्रोच्चारण की प्रस्तुति न केवल मधुर थी अपितु आध्यात्मिक उन्नति की कारक सिद्ध हुई। नाटक के माध्यम से मनुष्य की अत्मिक-शांति की शाश्वत खोज और प्राचीन वैदिक ग्रंथों में निहित इस खोज के सफल आध्यात्मिक समाधानों को दर्शाया। नाटक ने 'सनातन धर्म' की आधारशिला, ईश्वर-प्राप्ति के शाश्वत विज्ञान- 'ब्रह्मज्ञान' के सार को सुंदरतापूर्वक प्रस्तुत किया।साथ ही ब्रह्मज्ञान प्रदान कर शिष्य को रूपांतरित करने में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया।
'ॐ द्यौः शांति' का मुख्य संदेश श्रद्धालुओं को भौतिक जीवन के क्षणभंगुर सुखों से ऊपर उठकरआध्यात्मिक पूर्णता की यात्रा शुरू करने हेतु प्रेरित करना था। नाटक ने व्यक्तिगत और सामूहिक परिवर्तन को प्रेरित करने के लिए आत्म-साक्षात्कार और ब्रह्मज्ञान के गूढ़ सिद्धांतों का समन्वय किया। नाटक में आत्म-जागृति के आधार के रूप में “शांति” के सार को प्रस्तुत किया।

इसके अंतर्गत देवी भागवत् महापुराण से एक वृतांत का मंचन हुआ जिसमे माँ सताक्षी, माँ शाकंभरीएवं माँ दुर्गा के अवतार को LED विजुअल्स एवं अन्य आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से जीवंत दर्शायागया। तत्पश्चात, दुर्गा-दुर्गम संग्राम से सभी के समक्ष पर्यावरण संरक्षण के पहलू को रखा गया। इसनाटिका में जगज्जननी माँ द्वारा सूखा और अकाल को नष्ट कर मानव जाति को जल एवं प्रकृतिसंरक्षण के अद्भुत उपायों की सीख भी दी गई।
साध्वी दीपा भारती जी द्वारा इस कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय दिया गया। साथ ही साध्वी अदितिभारती जी ने सभी को इस मंचन में निहित गूढ़ तथ्यों एवं पर्यावरण संरक्षण के उपायों को सभी केसमक्ष साँझा किया।
नाटक में चित्रित वैदिक शिक्षाएँ प्रबुद्ध आध्यात्मिक गुरुओं द्वारा बताए गए 'ब्रह्मज्ञान' के मार्ग को दर्शाती हैं। 'ॐ द्यौः शांति' मंत्र का आह्वान करके, नाटक ने सृष्टि में व्याप्त दिव्य शक्ति और सभी प्राणियों के बीच शाश्वत सम्बन्ध को दर्शाया। 'सनातन धर्म' में जीवन का वास्तविक उद्देश्य - 'मोक्ष' बताया गया है - जो ब्रह्मज्ञान व निश्चल भक्ति के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, नाटक ने इसी सन्देश को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया।
'ॐ द्यौः शांति' एक नाट्य प्रदर्शन से कहीं अधिक रहा; यह उपस्थित सभी दर्शकों के लिए एक आध्यात्मिक जागृति बना। 'दिव्य ज्योति चलचित्रम श्रृंखला' जैसी पहल के माध्यम से डीजेजेएस द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करने व वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देने हेतु रचनात्मक माध्यमों का उपयोग निरंतर जारी रहा है। परंपरा को आधुनिकता के साथ जोड़कर डीजेजेएस ने युवा पीढ़ी सहित विविध दर्शकों तक गूढ़ आध्यात्मिक तथ्यों को सफलतापूर्वक पहुंचाया।