भारत त्योहारों और सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यताओं का केंद्र है और सूर्य का चलन उन्ही में से एक है। सूर्य के उत्तर की ओर बढ़ने को उत्तरायण कहा जाता है, जो कि सकारात्मकता का प्रतीक है। यह लोहड़ी, मकर सक्रांति, बैसाखी, बसंत पंचमी जैसे त्योहारों की शुरुआत का प्रतीक है और शुभ संकल्प लेने के लिए उपयुक्त समय माना जाता है। इस समय का अधिकतम लाभ उठाते हुए दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के लिंग समानता प्रकल्प – संतुलन द्वारा ‘कन्या’ बचाओं’ मुहीम के अंतर्गत हर साल जनवरी माह में एक संवेदनशील अभियान चलाया जाया है। इस अभियान के माध्यम से बालिकाओं के महत्व व् मूल्य ,सेक्स चयनात्मक गर्भपात और लिंग भेदभाव जैसे विषयों पर समाज को जागरूक किया जाता है। इस वर्ष भी, 10 जनवरी, 2020 से 29 जनवरी, 2020 (यानी बसंत पंचमी) तक, 20 का यह अभियान कन्याओं के संरक्षण हेतु देश भर में व्यापक रूप से सकारात्मकता प्रसारित करने हेतु चलाया जा रहा है
बढ़ते वैश्वीकरण के साथ त्योहारों का भी एक स्थान से विश्व भर में विस्तार हुआ है।नतीजतन, लोहड़ी और मकर सक्रांति जैसे त्यौहार अब समान उत्साह के साथ पुरे भारत में मनाए जा रहे हैं। इससे उक्त अभियान के अंतर्गत जागरूकता फैलाने और आध्यात्मिक जाग्रति द्वारा मानसिकता में बदलाव लाने हेतु लोगों तक पहुचने में बहुत सहायता मिली है। कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जन संवेदना के क्षेत्र में कुशल-संतुलन इस अवधि के दौरान उत्सवों का आयोजन कर रहा है , जैसे कि कन्या बचाओ के सन्देश और उपहारों के आदान प्रदान के साथ हल्दी कुमकुम मेल मिलाप, सार्वजानिक स्थान में नारी सम्मान के संदेशों को पतंगों से संलान्ग्नित कर उड़ाना, कन्या के पालन पोषण पर जनता की राय जानने हेतु पॉट लक सत्र, इत्यादि। लोहड़ी पर्व की बॉनफायर प्रथा को कार्यक्रम के अंत में आयोजित किया जाता है जिसमें प्रतिभागी अखबारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कलमबद्ध करते हैं और बॉनफायर में जलाकर उन बुराइयों को अंदर से ख़त्म करने का संकल्प लेते हैं। इन उत्सवों का लक्ष्य कन्याओं का सौहार्द से स्वागत करना और आध्यात्म द्वारा उन्हें लिंग आधारित भेदभाव की बेड़ियों से आज़ाद करना है। पॉपकॉर्न, गजक, रेवड़ी, तिल के लड्डू इन मौसमी त्योहारों के कुछ अपरिहार्य तत्व हैं, इसलिए इस अभियान में भी यें उपहार और प्रसाद के रूप में सम्मिलित किये गए हैं।
आज के समाज में लड़कियों का अपनी पह्चान बनाकर जी पाना बहुत मुश्किल है। इसी मुश्किल को आसान करने व् समाज में लिंग समानता स्थापित करने हेतु संतुलन सफलतापूर्वक भारत में अनगिनत अभियान चला रहा है। डीजेजेएस के संस्थापक और संचालक श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में, जो त्यौहार केवल पुरुष संतान के लिए मनाये जाते थे, अब इस अभियान के अंतर्गत वही, बालिकाओं को समर्पित किए जा रहे हैं। संवेदीकरण कार्यक्रमों के बाद सूचनात्मक काउंटरों को भी आयोजित किया जाता है, जिसमें लोगों से प्रिंट सामग्री द्वारा परामर्श किया जाता है और उनकी मानसिकता में बदलाव लाया जाता है।