दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के लिंग समानता कार्यक्रम संतुलन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इस बार भी मार्च 1 से 31 तक देश भर में महिलाओं के खोये सम्मान की पुनर्स्थापना हेतु “स्वाभिमान” नामक वार्षिक अभियान चलाया गया. उक्त कार्यक्रमों का क्रियान्वन संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिपादित थीम “बैलेंस फॉर बेटर” के अंतर्गत किया गया.
संतुलन का ये एक माह लम्बा अभियान “स्वाभिमान” १ मार्च से प्रारंभ हो कर ३१ मार्च तक देश भर में, नारीत्व के खोये हुए अर्थ की पुनार्स्तापना करने के लिए और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इस अवसर पर नारी और नारीत्व को एक पर्व के रूप मे मनाने के लिए कार्यरत्त रहेगा.
पूरे विश्व की महिलाएं लगभग एक सदी से, एक संतुलित समाज के लिए लड़ रही हैं. एक संतुलित समाज की परिभाषा विभिन्न परिवेशों मे अलग हो सकती है, लेकिन जब बात आती है लिंग समानता की, तो इसका सरल अर्थ होता है एक ऐसा समाज, जहा पुरुष ओर महिलाएं, समाज के दो स्तंभों की तरह, एक जैसे दायित्वों को निभातें हुए समाज को एक उज्जवल भविष्य की ओर ले कर चले. अर्थात , एक संतुलित समाज सिर्फ नारियों ओर पुरुषों को संख्या मे बराबर नहीं करता, बल्कि एक समाज संतुलित कहलाता है जहा बौधिक स्तर पर समाज का वर्ग बराबर सोचता है, जहाँ सशक्तिकरण केवल बातों मे न हो कर, समाज के हर वर्ग के प्रत्यक्ष हो और एक ऐसा समाज जहान बदलाव के नए दिलचस्प तरीके खुले दिल स अपनाए जाए.
एक ऐसे ही संतुलित समाज को सत्य मे परिवर्तित करने के लिए, संतुलन ने ऐसी वर्कशॉप का निर्माण किया जो की संयुक्त राष्ट्र के इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम से प्रोत्साहित रही, “बैलेंस फॉर बेटर” ( संतुलन एक बेहतर समाज के लिए).
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इस वर्ष संतुलन ने नारीत्व के इसी भाव को उत्साह पूर्ण मनाया और देश भर मे महिला सशक्तिकरण से जुड़े प्रयासों और मुश्किलों पर केंद्र रखते हुए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया. यह कार्यक्रम न केवल समाज के लिए एक नयी सोच से परिपूर्ण था, बल्कि इसमें भाग लेने वाली विभिन्न आयु की महिलों के जोश, उत्साह और उमंग से भी भरा था. “मैं नारी हु, क्या नारी होना अपराध है?” नाम के डांस बैले के द्वारा एक नारी के जीवन में आने वाली अनेक मुश्किलों को उजागर किया गया. सभी प्रतिभागियों ने फोरम थिएटर मे हिस्सा लिया और सामूहिक तौर पर अपने अनुभवों को थिएटर के माध्यम से सांझा किया.
इसी वर्कशॉप मे संतुलन एक प्रकल्प के तौर पर कैसे समाज मे लिंग समानता लाने के लिए देश की सबसे बड़ी मुहिम के रूप मे उभरा है ये भी एक डाक्यूमेंट्री के माध्यम से दर्शाया गया. संतुलन आज एक ऐसा परिवार बन गया है जो पिछले ८ सालों से अपने प्रयासों द्वारा भारत के १२ राज्यों में, ८००० जागरूक महिला वालंटियर्स और २५००० से भी अधिक ऐसी नारियां जो समाज मे बदलाव लाना चाहती है, जिसका हिस्सा हैं. अन्त में वर्कशॉप को प्रश्नोत्तर के साथ संपन्न किया गया.