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Selfless Volunteering, the Load Bearing Wall of the Organization

प्रयागराज कुम्भ में निस्वार्थ सेवा भावना एक ज्वलंत उदाहरण देखने को मिला, जहाँ भारी बारिश के कारण अस्त व्यस्त हुए टेंट, दरियाँ, कालीन एवं अन्य वस्तुओं को श्री आशुतोष महाराज जी के स्वयंसेवक युवा सेनानियों ने पुनः व्यवस्थित कर दिखाया ताकि नियोजित कार्यक्रम में कोई व्यवधान आने पाए। उस परमसत्ता के दिव्य सानिध्य ने ही इन सेनानियों के अंदर ये उत्साह भाव जागृत किया जिसके कारण ही यह शिष्य कटिबद्ध हो इस सेवा कार्य को पूर्ण कर पाए। ये युवा सेवादार निरंतर कार्यरत रहते है इस दिव्य ज्ञान का जन जन तक प्रचार प्रसार करने के लिए। कुंभ मेला प्रयागराज में ये सभी दिन रात ब्रह्मज्ञान का सन्देश प्रसारित करते नज़र आए। जय श्रीराम के उद्धघोष के साथ भीतर से उस आदिनाम का सुमिरन करते हुए कर्मठ सेनानी विश्व शांति के महान लक्ष्य में अपना योगदान दे रहे है। परमात्मा से भीतरी जुड़े रहने के कारण ही यह सेनानी किसी भी विपत्ति एवं बाधाओं से निपटने में सक्षम है। आने वाला स्वर्णिम युग इन सेवादारों की निस्वार्थ सेवा का साक्षी बनेगा। भारी वर्षा के बावजूद भी सुचारु व्यवस्था एवं व्यवस्थित प्रांगड़ ने सबको आश्चर्यचकित कर डाला। इन युवा सेनानियों की शक्ति, उत्साह, प्रेरणा के स्त्रोत सिर्फ और सिर्फ गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी है जो ऐसे ही असंख्य युवाओं का मार्ग दर्शन कर रहे है। निस्वार्थ सेवा का ये कारवां केवल यही नहीं रुकता अपितु एक शिष्य के लिए ये उसके जीवन की पूँजी हुआ करती है। इस सेवा रुपी अमृत को वो सहेज के रखते है, हर पल उसे जिया करते है।

Selfless Volunteering, the Load Bearing Wall of the Organization

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