दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री आशुतोष महाराज जी की अनुकम्पा से 29 अगस्त से 2 सितम्बर 2022 तक पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गयाl कांगड़ा और आस पास के लोगों ने इन पांच दिवसों में भगवान श्री कृष्ण की कृपा का अनुभव कियाl कथा का आरंभ सुमधुर भजनों से हुआl कथा व्यास साध्वी सौम्या भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण और उनके भक्तों के जीवन की अनेक लीलाओं का वर्णन किया तथा उनके पीछे छिपे रहस्यों और शिक्षाओं को बताते हुए कहा कि श्री कृष्ण द्वापर युग के पूर्ण गुरु थे जिन्होंने अपने भक्तों को ब्रह्मज्ञान प्रदान कर ईश्वर की प्रत्यक्ष अनुभूति करवाईl
अपने आध्यात्मिक प्रवचनों में, गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी अक्सर भगवान श्री कृष्ण को बहुआयामी व्यक्तित्व के रूप में वर्णित करते हैं जो सर्वज्ञ, सर्वव्यापी और सर्वशक्तिमान हैंl अनादि काल से, भगवान कृष्ण समस्त मानव जाति में जिज्ञासा का विषय रहे हैंl अनेकानेक कथाओं के माध्यम से ''श्री कृष्ण '' के बारे में इतना सुनने के बाद भी हम उनके चरित्र को पूर्ण रूप से समझ नहीं पातेl समझ नहीं पाते कि भगवान श्री विष्णु के अवतार ‘श्री कृष्ण’ का इस धरा पर आने का वास्तविक उद्देश्य क्या थाl उन्होंने महाभारत का युद्ध क्यों होने दियाl क्रूर कंस द्वारा उनके माता-पिता को क्यों सताया गयाl कृष्ण ने अर्जुन को अपना वास्तविक रूप पहले ही क्यों नहीं दिखायाl कृष्ण की इन दिव्य लीलाओं को समझाते हुए साध्वी जी ने प्रभु के बहुआयामी व्यक्तित्व को दर्शाया| यह भी बताया की किस प्रकार जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में कृष्ण ने एक सखा, एक भाई, एक बेटा, एक महान राजनेता और एक योद्धा होने का कर्तव्य निभायाl एक तरह से श्री कृष्ण कथा भगवद गीता सहित शास्त्रों में वर्णित भगवान श्री कृष्ण की सभी लीलाओं के अंतरर्निहित अर्थ का वर्णन करती हैl
कथा ने आत्म जाग्रति (ब्रह्मज्ञान द्वारा) के माध्यम से वैश्विक शांति स्थापित करने पर ज़ोर दियाl भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर के पूर्ण गुरु होने के नाते अपने अनुयायियों को ब्रह्मज्ञान प्रदान किया| अंतर्घट में ईश्वर के वास्तविक दर्शन करा, विश्व शांति के मार्ग को प्रशस्त कियाl साध्वी जी ने कहा की श्री कृष्ण की ही भांति हमें भी जाति, पंथ या सामाजिक स्थिति से ऊपर उठकर ईश्वर दर्शन के माध्यम से ही अपने जीवन का कल्याण करना चाहिएl इस आध्यात्मिक कार्यक्रम का उद्देश्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना था जहाँ सभी लोग एक परिवार के रूप में शांति और सद्भावना देने वाली छाया में रह सकें| एक ऐसी दुनिया जिसमे सुरक्षित होके सभी राष्ट्र एक साथ शांति और स्वतंत्रता से काम कर सकेंl भक्तों ने ध्यान की मुद्रा में बैठ सामूहिक रूप से मानव कल्याण और विश्व शांति के लिए प्रार्थना कीl