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कृष्ण लीलाओं और कृष्ण भक्ति में निहित अकथनीय ज्ञान, दिव्यता, प्रेम और धार्मिकता को फैलाने के लिए; दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा पुल प्रह्लादपुर, नई दिल्ली में 12 से 18 दिसंबर, 2022 तक आध्यात्मिकता से परिपूर्ण 7 दिवसीय श्री कृष्ण कथा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन के तहत कथाव्यास साध्वी आस्था भारती जी ने बहुत ही प्रभावशाली ढंग से समझाया कि इस मानव जन्म को सार्थक बनाने का एकमात्र उपाय है की इसे परमात्मा की सच्ची भक्ति से संरक्षित व भरपूर कर दिया जाए| इसी उपाय को भगवान कृष्ण एवं अन्य सभी अवतारों द्वारा भी प्रकट किया गया है| कथा कार्यक्रम के प्रत्येक दिन हजारों भक्तों और आध्यात्मिक पथ के साधकों का आना हुआ, जिससे यह आयोजन खूब सफल रहा। कथा के दौरान गुरुदेव के शिष्यों की संगीतमय टोली ने आत्मा को झकझोरने व साथ ही भक्तिमय कर देने वाले मधुर भजन प्रस्तुत किए, जो हर एक उपस्थित श्रद्धालु के दिल को छू गए।

Shri Krishna Katha demystifies the Eternal technique of true devotion and the essence of Lord's love at Pul Prahladpur, New Delhi

साध्वी जी ने समझाया कि मनुष्य के सभी प्रयास हमेशा जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति की ओर निर्देशित होते हैं। हालांकि इस दिशा में तमाम कोशिशों के बावजूद नतीजे लक्ष्य से कोसों दूर नजर आते हैं। दुख वर्तमान समय में जीवन का पर्याय बन गया है। ऐसा लगता है कि दुनिया के पास इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। कारण- भगवान का राज्य जो हम में से प्रत्येक के भीतर है, सुख-शांति रुपी रत्नों का निरंतर भंडार है; परन्तु हम जीवन भर इसे बाहर ही खोजते रह जाते हैं। जब भगवान कृष्ण जैसे पूर्ण गुरु हमारे अंदर ही सुख व आनंद के इस स्रोत को प्रकट कर देते हैं और हमारे सच्चे स्वरूप को हमें जना देते  हैं, तभी सच्ची भक्ति का मार्ग मिलता है और हमें सुख और आनंद की प्राप्ति होती है।

साध्वी जी ने आगे विस्तार से बताया कि प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी रूप में भक्त होता है, लेकिन हमारी वह भक्ति कभी-कभी जीवनसाथी, परिवार, धन, नाम की प्रसिद्धि, जीवन की विलासिता आदि के लिए हो जाती है। यकीन मानिए, हमारे विचार व मान्यताओं से प्रेरित यह बाहरी अंधभक्ति, वास्तव में हमारे मन के प्रति है न कि भगवान के प्रति। जबकि सही मायनों में, भक्ति की शुरुआत तो भगवान को जानने से ही होती है, उनके दर्शन से होती है।

Shri Krishna Katha demystifies the Eternal technique of true devotion and the essence of Lord's love at Pul Prahladpur, New Delhi

अनंत और उदात्त प्रेम के सागर वह ईश्वर ही समय-समय पर मानव जाति को ब्रह्मज्ञान प्रदान करने के लिए सतगुरु की भूमिका में मानव वेश में प्रकट होते हैं ताकि भगवान को भीतर दिखाया जा सके। एक जागृत भक्त जो इस ज्ञान का अभ्यास करता है, फिर हर विचार और भावना से भगवान को सब जगह देखता है और वह परम प्रेमस्वरूप ईश्वर भी अपने भक्त को अपने सर्वव्यापी प्रेम के झरोखे से निरंतर स्नेहिल दृष्टि से निहारता है। जैसा कि राधा, गोपिकाओं, मीरा, अर्जुन, नरसिंह मेहता, नामदेव आदि ने किया जो पूरी तरह से भगवान की इच्छा पर निर्भर होकर और पूरी तरह से उन पर भरोसा कर अपनी भक्ति के कारण अमर हो गए। जैसा कि भगवान कृष्ण कहते हैं - "मुझे जीतने का एक ही तरीका है- प्रेम... और ऐसे निश्छल व निस्वार्थ प्रेम के आगे मैं सदा हार जाता हूँ।"

साध्वी जी ने इस युग के पूर्ण सतगुरु श्रद्धेय श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा बताए गए ब्रह्मज्ञान के दिव्य मार्ग पर चलकर सभी को भगवान को जानने के लिए हृदय से आमंत्रित किया। शहर के विभिन्न कोनों से बड़ी संख्या में भक्तों का आगमन हुआ, उन्होंने भजनों के संग गाकर व नाच झूमकर इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम ने मानव जीवन के वास्तविक उद्देश्य को स्पष्ट करने के अपने उद्देश्य की पूर्ति की। उपस्थित अतिथियों और भक्तों ने सभी प्रकार के सामाजिक मुद्दों के प्रति डीजेजेएस के अथक प्रयासों की भी खूब सराहना की।

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