जब मानव स्वयं को प्रभु के समक्ष समर्पित कर देता है तो इस संसार की कोई भी शक्ति उसे हानि नहीं पहुंचा सकती है। ईश्वर उस जीव को कभी नहीं छोड़ते जो उन पर पूर्ण विश्वास करता है। अपने भक्तों के इसी विश्वास के कारण द्वापर युग में भगवान ने श्री कृष्ण रूप में अवतार लिया। पंजाब के लुधियाना में 13 से 17 सितंबर 2018 तक पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा आयोजित की गई। इस कथा का वाचन सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्य साध्वी सौम्या भारती जी ने किया।
कथा का शुभारम्भ एक विशाल कलश यात्रा द्वारा हुआ। इस यात्रा में भारी संख्या में शामिल हो लोगों ने बड़े पैमाने पर कथा सम्बन्धी संदेश प्रसारित किया। प्रत्येक दिन कथा का शुभारम्भ भगवान कृष्ण के चरणों में सुमधुर प्रार्थनाओं के गायन द्वारा दिव्यता का प्रसार करते हुए हुआ। साध्वी सौम्या भारती जी ने कथा का वर्णन करते हुए भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न उपाख्यानों का उल्लेख किया जो हमें जीवन जीने के लिए दिव्यता के मार्ग की ओर प्रेरित करते हैं। उन्होंने भक्तों के समक्ष गोवर्धन पर्वत प्रसंग को रखते हुए कहा कि उपेक्षा से अधिक वर्षा में सब जलमग्न हो गया इसलिए सभी ने सहायता हेतु भगवान कृष्ण से संपर्क किया। भगवान कृष्ण ने स्थिति को समझ उनके रक्षण हेतु गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। भगवान कृष्ण के मित्रों ने उनका सहयोग करने के लिए गोवर्धन पर्वत पर अपनी लाठियां लगा दि। यद्यपि भगवान कृष्ण को अपने सखाओं की सहायता की आवश्यकता नहीं थी फिर भी उन्होंने सहायता की मांग की। ईश्वरीय शक्ति अपने आप सबकुछ करने में पूरी तरह से सक्षम है परन्तु वह मानव से सहयोग की मांग कर उन्हें श्रेय देना चाहते हैं।
इसी तरह, परम पूजनीय गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी स्वयं ही विश्व शांति के लक्ष्य को सिद्ध करने में सक्षम हैं। परन्तु वह हमें इस विशाल परिवर्तन का हिस्सा बनने का मौका दे रहे हैं। प्रशिक्षित संगीतकारों ने कथा के दौरान सुमधुर भक्ति रचनाओं के माध्यम से दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया। कथा द्वारा श्री कृष्ण के वास्तविक रूप को जानने के लिए अनेक भक्तों ने ब्रह्मज्ञान से ईश्वर दर्शन को पाया।