जनसाधारण तक भगवान श्री कृष्ण की अमूल्य एवं दिव्य प्रेरणाओं की निधि के प्रसार हेतु ‘दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान’ द्वारा सनौर, पंजाब में 1 से 5 अप्रैल 2023 तक 5 दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया| संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी रूपेश्वरी भारती जी ने श्री कृष्ण की आनंदप्रदायिनी दिव्य लीलाओं में छिपे गहरे आध्यात्मिक अर्थों को प्रकट किया| अपने सारगर्भित प्रवचनों के माध्यम से उन्होंने श्री कृष्ण की शिक्षाओं में अंतर्निहित गहरे अर्थों पर प्रकाश डाला जो न केवल 'द्वापर' युग में प्रासंगिक थे बल्कि वर्तमान युग में भी अत्यधिक महत्व रखते हैं। सुमधुर भजनों से समृद्ध यह कथा आत्मिक शांति प्रदान करने वाली सिद्ध हुई|

साध्वी जी ने मुख्य रूप से बताया कि श्री कृष्ण का जन्म मानव जाति के आध्यात्मिक इतिहास में एक क्रांतिकारी घटना रही है। उनका अवतरण समाज में फ़ैल रही समस्त ‘आसुरी शक्तियों’ के विनाश और ‘धर्म की पुनर्स्थापना’ के लिए हुआ था। महाभारत के नायक श्री कृष्ण स्वयं साक्षात् 'ब्रह्मज्ञान' के अवतार हैं। उन्होंने अर्जुन के भीतर इसी आत्मज्ञान के सर्वोच्च विज्ञान को प्रकट कर भक्ति और अध्यात्म के सही अर्थों को मानव समाज के समक्ष रखा|
साध्वी जी ने समझाया कि आत्म-साक्षात्कार ईश्वर-प्राप्ति का एकमात्र साधन है| श्रीकृष्ण की मानें तो 'ब्रह्मज्ञान' के सूक्ष्म विज्ञान के द्वारा ही स्वयं का मूल्यांकन, विश्लेषण और शुद्धिकरण करके उत्कृष्टता को प्राप्त किया जा सकता है। जब सुमिरन के द्वारा भगवान के शाश्वत नाम का अभ्यास किया जाता है, तो वह अन्तर्निहित दुर्भावनाओं को नष्ट कर मन को उसके विशुद्धतम रूप में प्रकट कर देता है। फिर यही उच्च अवस्था को प्राप्त हुआ विशुद्ध मन दिव्य ऊर्जा का संग कर निराकार सत्ता से जुड़ जाता है। ईश्वर के दिव्य प्रकाश का निरंतर ध्यान करने पर मनुष्य जीवन के समस्त कार्यों को उचित दिशा में निर्देशित करने योग्य क्षमता प्राप्त करता है।

अंत में साध्वी जी ने यह स्पष्ट किया कि अनादि काल से, सच्चे आध्यात्मिक गुरुओं ने एक भक्त के भीतर ईश्वर के इसी आलौकिक प्रकाश पुंज को प्रकट कर उसकी सुषुप्त मानसिक चेतना को जागृत किया है जो उसके जीवन को आंतरिक और बाहरी, दोनों ओर से परिवर्तित कर देता है। परम शांति और आनंद को प्राप्त करने हेतु पूर्ण गुरु ही हमारी ऊर्जा को हमारे भीतर निर्देशित करते हैं। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी आज के समय की ऐसी ही दिव्य सत्ता हैं जो अध्यात्म पथ के लाखों जिज्ञासुओं को मार्ग दिखाने हेतु सच्चे पथप्रदर्शक के रूप में सामने आए हैं| गुरुदेव के द्वारा प्रदान की गई ध्यान की सनातन प्रक्रिया आत्म-शुद्धि और आत्म-निरीक्षण की उत्तम तकनीक है।
यह विलक्षण कार्यक्रम अति उत्साह-उमंग के साथ सम्पन्न हुआ। श्री कृष्ण कथा में भाग लेने वाले भक्त संस्थान द्वारा प्रकट किये गए भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के अनंत दिव्य अलौकिक आध्यात्मिक रहस्यों से मंत्रमुग्ध हुए।