जहाँ भी ईश्वर के नाम व महिमा का गुणगान किया जाता है, प्रकृति का हर पहलू उदार व आनंदमय हो जाता है। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा 1 से 5 मार्च 2023 तक अमृतसर, पंजाब में आयोजित श्री कृष्ण कथा ने वातावरण में शांति व आनंद का संचार किया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन में प्रत्येक व्यक्ति के चरित्र को आध्यात्मिक सांचे में विकसित करते हुए एक शांतिपूर्ण विश्व निर्माण हेतु डीजेजेएस अथक रूप से कार्यरत रहा है।
कथा व्यास साध्वी जयंती भारती जी ने श्री कृष्ण की लीलाओं व उनके चरित्र में निहित गहरे आध्यात्मिक रहस्यों को अर्थ पूर्ण रूप से समझाया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान श्री कृष्ण के चरण कमलों में पवित्र प्रार्थना के साथ हुआ, तत्पश्चात भक्ति भावों से ओतप्रोत भजनों ने उपस्थित श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। प्रस्तुत दिव्य भजनों ने दर्शकों को जीवन में आध्यात्मिक खोज के महत्व व भौतिकवादी उपलब्धियों की गौणता का एहसास कराया।
साध्वी जी ने समझाया कि ईश्वर का अवतरण प्रायः जिज्ञासा का विषय रहा है, कि ईश्वर कब और कैसे मनुष्यों के बीच में अवतरित होते हैं? ईश्वर किसे अपना साक्षात्कार कराते हैं और भक्त मनुष्य रूप में अवतरित अपने भगवान को कैसे पहचान सकते हैं? हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण का धरती पर जन्म कंस व अन्य अधर्मियों के विनाश के लिए हुआ था। परंतु क्या हम ईश्वर के अवतरण का मूल कारण जानते हैं? इसका मूल कारण है जन-मानस की अंतःकरण से निकली प्रार्थनाएं! जब अत्याचारियों व उत्पीड़कों द्वारा बाँधी गयी बेड़ियों को तोड़ने का कोई और तरीका शेष नहीं रह जाता, तब अपने भक्तों के प्रति अपार प्रेम हेतु व उन के आह्वान पर भगवान धरा पर अवतरित होते हैं। और तो और, जो लौकिक सुखों का त्याग कर उनके प्रति समर्पण दिखाते हैं, उन्हें वह सहज रूप से अपना साक्षात दर्शन भी प्रदान करते हैं।
संतों-महापुरुषों के अनुसार ईश्वरीय अवतरण से पृथ्वी पर एक ऐसे नूतन शांतिपूर्ण युग की शुरुआत होती है जो असंख्य आत्माओं को शाश्वत भक्ति व ईश्वर जिस के लक्ष्य को लेकर आये हैं; उसके प्रति नि:स्वार्थ सेवा का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करता है। जो अंततः जीवन के परम लक्ष्य- मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है।
साध्वी जी ने बताया कि ईश्वर का साम्राज्य प्रत्येक व्यक्ति के भीतर विद्यमान है और जाग्रति के क्षणों में हमारे सामने ठीक उसी प्रकार प्रकट हो जाता है जिस प्रकार अर्जुन के सामने प्रकट हुआ जब भगवान श्री कृष्ण ने उसे दिव्य ज्ञान प्रदान किया। वह ईश्वर के तत्त्व रूप- प्रकाश को अपने भीतर देख पाया। ठीक इसी तरह, श्री आशुतोष महाराज जी एक प्रबुद्ध पूर्ण सतगुरु हैं जिन्होंने अपनी दिव्य कृपा से असंख्य आत्माओं को जाग्रत कर उन्हें आध्यात्मिक उत्कृष्टता की ओर अग्रसर किया है। ऐसे असंख्य जाग्रत शिष्य धर्म व आनंद के जीवंत प्रमाण हैं जो सतगुरु की कृपा द्वारा ही प्राप्य है।
प्रति दिन उत्साह व उमंग सहित उमड़ते असंख्य श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने कथा की सफलता का प्रमाण प्रस्तुत किया। अनेक जिज्ञासुओं ने ब्रह्मज्ञान के विज्ञान के प्रति पहल की और स्वस्थ समाज में योगदान हेतु बाह्य व आंतरिक परिवर्तन का संकल्प किया।