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श्री आशुतोष महाराज जी की असीम अनुकंपा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 14 से 18 दिसम्बर 2022 तक मंडी कालांवाली, हरियाणा में पाँच दिवसीय श्री कृष्ण कथा का आयोजन किया गया। भव्य आध्यात्मिक कथा में असंख्य श्रद्धालुओं व गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति देखी गई। कथा का वाचन श्री आशुतोष महाराज जी की प्रचारक शिष्या, साध्वी जयंती भारती जी ने किया। कथा का मुख्य लक्ष्य द्वापर युग में घटित सत्य घटनाओं व श्लोकों के माध्यम से लोगों को जीवन के परम उद्देश्य के प्रति जागरूक करवाना रहा। क्षेत्रीय निवासियों को सम्मानपूर्वक आमंत्रित करने हेतु कथा से एक दिन पूर्व 13 दिसम्बर 2022 को कलश यात्रा भी निकाली गई।

Shri Krishna Katha Ignited the Gigantic Purpose of Inner Awakening in Mandi Kalanwali, Haryana

साध्वी जी ने कथा का व्याख्यान करते हुए समझाया कि जब ईश्वर पृथ्वी पर अवतरित होते हैं, तब, जब तक हम अज्ञानता के अंधकार से घिरे रहते हैं, तब तक उन्हें पहचानना सरल नहीं होता। यही कारण है कि दुर्योधन भगवान श्री कृष्ण को सामने खड़ा देखकर भी पहचान नहीं पाया। परंतु दिव्य चक्षु के माध्यम से अर्जुन ने श्री कृष्ण के तत्त्व स्वरूप को पहचाना व उनकी आज्ञा अनुसार चलते हुए उसने अपने जीवन का कल्याण किया। इसीलिए, जो ज्ञान चक्षु भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को प्रदान किया उसका होना अनिवार्य है।

भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं-

Shri Krishna Katha Ignited the Gigantic Purpose of Inner Awakening in Mandi Kalanwali, Haryana

“अर्जुन, जीवन में जो आता है वह जाता भी है। सुख और दुःख अस्थायी अनुभव हैं जो इंद्रिय बोध से उत्पन्न होते हैं। सर्दी-गर्मी की तरह सुख-दुःख भी आते जाते रहेंगे। यह सदा के लिए नहीं रहते। अतः उनसे अनासक्त रहो।” (भगवद् गीता 2/14)

मनुष्य, अच्छी या बुरी, जीवन में आने वाली दोनों ही परिस्थितियों का शांत व स्थिर होकर उचित दृष्टिकोण के साथ सामना कैसे कर सकता है? एक मनुष्य यह कैसे याद रखे कि यह जीवन के अस्थायी चरण हैं? साध्वी जी ने कहा कि यह केवल ब्रह्मज्ञान द्वारा ही संभव है। मनुष्य ब्रह्मज्ञान कैसे प्राप्त कर सकता है? साध्वी जी ने ब्रह्मज्ञान, वह सनातन ज्ञान, जिसे केवल पूर्ण सतगुरु द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, की शाश्वत विधि का संदेश सुंदर व्याख्यानों सहित प्रस्तुत किया। उन्होंने समझाया कि अर्जुन के समान हम भी पूर्ण सतगुरु की शरण में दिव्य चक्षु को प्राप्त कर सत्य पथ पर अग्रसर हो सकते हैं। तत्पश्चात हर क्षण ईश्वर का संग कर सांसारिक सुखों व दुःखों से विरक्ति प्राप्त कर सकते हैं। ब्रह्मज्ञान पर आधारित नियमित योग साधना व वैराग्य द्वारा मन को नियंत्रित किया जा सकता है।

कथा में प्रस्तुत भावपूर्ण भजनों व विवेकपूर्ण प्रवचनों ने उपस्थित असंख्य श्रोतागणों को मंत्रमुग्ध किया। डीजेजेएस द्वारा आयोजित इस भव्य आध्यात्मिक श्री कृष्ण कथा का उल्लेख अनेक समाचार पत्रों द्वारा किया गया।

कथा व्यास जी ने गहन आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया और कथा का सार देते हुए कहा कि आज भी एक पूर्ण सतगुरु द्वारा ब्रह्मज्ञान को प्राप्त किया जा सकता है। डीजेजेएस सभी ईश्वर जिज्ञासुओं को अपनी आध्यात्मिक यात्रा का अविलंब शुभारंभ करने के लिए उनका स्वागत करता है। कथा में उपस्थित गणमान्य अतिथियों व श्रद्धालुओं ने दिव्यता का अनुभव कर स्वयं को धन्य महसूस किया और संस्थान के प्रति अपनी कृतज्ञता को प्रकट किया।

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