दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की दिव्य अनुकंपा से 22 से 28 जनवरी 2025 तक डीजेजेएस शिविर स्थल, गंगेश्वर बजरंगदास चौराहा, सेक्टर 9, अमिताभ पुलिया के पास, गोविंदपुर, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में सात दिवसीय श्री कृष्ण कथा काआयोजन किया गया। इस भव्य धार्मिक कार्यक्रम में कई श्रद्धालु एवं गणमान्य अतिथिगण उपस्थितहुए। इस कथा का उद्देश्य ईश्वर-दर्शन की शाश्वत विधि को प्रदान कर मोक्ष के शाश्वत व सनातन मार्गको दिखाना रहा, जिसकी खोज के लिए अनेकों भक्तगण महाकुंभ जैसे पवित्र आयोजनों में आयाकरते हैं।

इस कार्यक्रम की विश्व-विख्यात कथा व्यास व गुरुदेव की प्रचारक शिष्या साध्वी आस्था भारती जी, नेभक्तों को जीवन के सर्वोच्च उद्देश्य- ईश्वर को अपने भीतर देखने और धर्म के मार्ग पर चलने के लिएप्रेरित किया। कार्यक्रम से पूर्व ब्रह्मज्ञानी वेदपाठियों ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण किया, जिससेप्रस्फुटित हुई आध्यात्मिक तरंगों ने वातावरण को कथा हेतु सज्ज कर दिया। कथा का प्रारंभ भगवानश्रीकृष्ण के स्तुति गान के साथ हुआ। साध्वी जी ने अपने दिव्य प्रवचनों से श्रोताओं को द्वापर युग कीयात्रा पर ले जाते हुए, घटनाओं को ऐसे वर्णित किया जैसे सब कुछ उनके समक्ष घटित हो रहा हो।
साध्वी जी ने पवित्र धार्मिक ग्रंथों पर आधारित कथा का वर्णन किया, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण केजीवन और उनके द्वारा प्रदान किए गए उपदेशों को दर्शाया गया। यद्यपि कारागार में जन्मे भगवान श्री कृष्ण को अपने बालपन से ही जीवित रहने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, परन्तु अपनी नटखट लीलाओं से पूरे गोकुल के हृदयों की वो धड़कन बन गए। भगवान श्रीकृष्ण का जीवनउनकी बाल्यावस्था से ही अत्यंत क्रांतिकारी और प्रेरणादायक रहा है, उन्होंने अपनी आनंदमयीलीलाओं के माध्यम से दुनिया को कई दिव्य संदेश दिए। साध्वी जी ने सात दिनों तक भगवान श्री कृष्ण के जीवन के अनेक दिव्य रहस्यों को उजागर किया और भक्तों के समक्ष आध्यात्मिक रत्नों काभंडार प्रकट किया। उन्होंने आध्यात्मिकता का सही अर्थ, भगवान श्रीकृष्ण जैसे पूर्ण गुरु कीविशेषताएँ एवं भगवान की शिक्षाओं का अपने जीवन में अनुसरण करने के महत्व को भी उजागर किया।

कुरुक्षेत्र के युद्ध में, जब भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग, भक्तियोग और अर्जुन के प्रत्येक प्रश्न कासमाधान प्रस्तुत किया, तो अर्जुन द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में आत्मसमर्पण करने पर उन्होंनेदिव्य नेत्र के विषय में भी बताया। तत्पश्चात प्रभु ने उन्हें ज्ञानचक्षु (दिव्य चक्षु) प्रदान किया, जिससे वेभगवान के 'अलौकिक रूप' का अपनी अंतरात्मा के भीतर दर्शन कर सके। तत्पश्चात अर्जुन के सभी शेषप्रश्न समाप्त हो गए, और उन्होंने अपने भीतर अपार सकारात्मकता, भगवान की उपस्थिति, मानसिकशांति और एकाग्रता का अनुभव किया| अर्जुन अपने जीवन के परम लक्ष्य और उस अलौकिक कारण को भी समझ पाए जिसके लिए उन्हें धर्म की स्थापना हेतु युद्ध कर अपनी भूमिका निभानी थी। आजके डिजिटल युग में, जब हर कोई ढेरों जानकारियों से ओत-प्रोत है, वहीं हमें स्वयं को जानने के लिएकेवल एक ऐसे दिव्य ज्ञान की आवश्यकता है, जिसे ब्रह्मज्ञान कहते हैं। हमें भी भगवान श्रीकृष्ण जैसेपूर्ण गुरु की आवश्यकता है, जो अपनी कृपा से हमें ब्रह्मज्ञान प्रदान करें अर्थात इस ज्ञानचक्षु का उन्मीलन कर हमारे अंतर्घट में भगवान के अलौकिक दर्शन कराएं।
गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ऐसे ही एक पूर्ण गुरु हैं, जिन्होंने ब्रह्मज्ञान के माध्यम से लाखोंसाधकों को ज्ञानचक्षु प्रदान किया है, जो ईश्वर के खोजी थे, ईश्वर दर्शन के पिपासु थे और जिन्होंनेअर्जुन की भांति आत्मसमर्पण किया। गुरु की आज्ञाओं का पालन करते हुए और ब्रह्मज्ञान आधारितनियमित ध्यान साधना के माध्यम से, कई भक्त अपने भीतर गहरे आत्मिक परिवर्तन का अनुभव कर रहेहैं और संस्थान के पावन लक्ष्य ‘विश्व शांति’ में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
ज्ञानवर्धक प्रवचन सुनकर श्रोता अभिभूत, कृतज्ञ और परम धन्य महसूस कर रहे थे। कार्यक्रम मेंउपस्थित विशिष्ट अतिथियों ने अपने कीमती समय से इसे गौरवान्वित किया। सुमधुर भजनों कीश्रृंखला ने श्रोताओं के हृदयों को कथा में बांधे रखा और गूढ़ अध्यात्मिक रहस्यों के व्यावहारिक वर्णनने आज की आधुनिक दुनिया से संबंधित कई समाधान प्रदान किए। कथा का दैनिक भास्कर, द क्लिफ न्यूज़, संयम भारत, जन भारत मेल, वीर अर्जुन, न्यूज़ डिटेल इत्यादि प्रिन्ट एवं डिजिटल मीडियाद्वारा व्यापक कवरेज किया गया। अतिथियों ने कथा की सराहना करते हुए संस्थान के विभिन्नप्रकल्पों से जुड़ने में अपनी गहरी रुचि दिखाई। डीजेजेएस सभी साधकों को अपनी आध्यात्मिक यात्राआरंभ करने के लिए आमंत्रित करता है।