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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान (डीजेजेएस) द्वारा 14 से 20 सितंबर 2025 तक आयोजित सात दिवसीय श्रीकृष्ण कथा में भगवान श्रीकृष्ण और उनके भक्तों की मनमोहक गाथा ने हैदराबाद वासियों के हृदयों को भाव विभोर कर दिया। दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से यह आयोजन असंख्य उपस्थित श्रद्धालुओं के लिए आशा और चेतना का दीप स्तंभ बनकर उभरा। कथा व्यास साध्वी आस्था भारती जी ने भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीलाओं तथा उनके परम भक्तों की भक्ति यात्राओं के दिव्य प्रसंगों में छिपे गूढ़ अर्थों और आध्यात्मिक रहस्यों को सरस ढंग से प्रस्तुत किया| भव्य कथा स्थल आत्म विभोर कर देने वाले भजनों और प्रवचनों की ध्वनियों से गूंज उठा, जिसने सभी के हृदयों में परमात्मा की सच्ची खोज की लौ जगाई।

Shri Krishna Katha organized by DJJS in Hyderabad, Telangana, infuses devotion & spiritual consciousness in seekers

सात दिनों तक साध्वी जी ने अपने ओजस्वी प्रवचनों में संत सूरदास जी, भक्त नामदेव जी, भक्तिमति मीराबाई जी, भक्त धन्ना जी, भक्त नरसिंह मेहता जी, द्रौपदी, गोपिकाएँ, विदुर आदि भक्तों के जीवन का वर्णन किया। उन्होंने कई विचारोत्तेजक प्रश्न भी उठाए: इन भक्तों की भक्ति इतनी निर्मल और उच्च कोटि की थी कि स्वयं भगवान उनके आह्वान पर प्रकट हो गए, उनके अर्पण को स्वीकार किया और उनकी रक्षा की| क्या आज भी प्रभु भक्त की पुकार पर प्रकट होते हैं? क्या सच्ची भक्ति का कोई विशिष्ट मार्ग है जो आत्मा को सीधे परमात्मा से जोड़ता है? प्रभु अपना वास्तविक स्वरूप किन्हें दिखाते हैं और साधक उन्हें मानव रूप में कैसे पहचान सकते हैं?

इन प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत करते हुए साध्वी जी ने श्रीकृष्ण को केवल एक दिव्य अवतार नहीं, बल्कि पूर्ण गुरु के सजीव स्वरूप के रूप में भी प्रतिपादित किया। वही गुरु, जो ‘ब्रह्मज्ञान’ के सनातन विज्ञान द्वारा साधक को परमात्मा के तत्व रूप का साक्षात्कार कराते हैं, और उसे परम आनंद की अवस्था तक लेकर जाते हैं।

Shri Krishna Katha organized by DJJS in Hyderabad, Telangana, infuses devotion & spiritual consciousness in seekers

प्रवचन में यह स्पष्ट किया गया कि ब्रह्मज्ञान आत्म-साक्षात्कार का विज्ञान, इस आंतरिक खजाने को खोलने की एकमात्र कुंजी है। यही वह शाश्वत विज्ञान है जो भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को प्रदान किया था, जिसने उसके विषाद को अडिग संकल्प में बदल दिया। साधकों से आह्वान किया गया कि वे बाहरी कर्मकांडों से आगे बढ़कर उस व्यावहारिक आध्यात्मिकता को अपनाएँ, जिसमें परमात्मा का प्रत्यक्ष अनुभव केवल समय के पूर्ण गुरु की कृपा से संभव है।

कथा में प्रतिदिन उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़, उनकी उत्साह से भरी आँखें और आनंदित हृदय इस कार्यक्रम की अपार सफलता के प्रमाण बने। इस आयोजन ने स्पष्ट कर दिया कि आधुनिक जीवन की चुनौतियों के बीच समाज को गूढ़ और व्यावहारिक आध्यात्मिक मार्गदर्शन की कितनी आवश्यकता है।

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