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दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी के दिव्य मार्गदर्शन  में कुम्भ मेला, प्रयागराज में 14 से 20 फरवरी 2019 तक विलक्षण शिव कथा का आयोजन किया गया। भगवान शिव का पूजन मानव रूप और निराकार प्रतीक अर्थात लिंग स्वरुप में किया जाता है। हम बाहरी दुनिया में जो कुछ भी देखते हैं वह हमारे भीतर दुनिया का प्रतिबिंब है भगवान शिव का बाह्य मानव स्वरुप इसी बात को इंगित करता है। भगवान शिव की प्रतिमा के हर पहलू के पीछे आध्यात्मिक एवं गूढ़ रहस्य है उदाहरणस्वरूप, भगवान के माथे पर तीसरी आंख इस बात का प्रतीक है कि प्रत्येक मनुष्य के पास यह तीसरी आंख है जिसके माध्यम से मानव अपने अन्तःकरण का दर्शन कर पाता है। भगवान शिव को आदि गुरु के रूप में भी जाना जाता है जिनसे ज्ञान की उत्पत्ति हुई जो हमें सन्देश देते है जीवन में एक पूर्ण सतगुरु के महत्व का जो हमारे दिव्य चक्षु को खोल हमें ब्रह्मज्ञान प्रदान करते हैं।

The Innermost Self Deciphered through Shiv Katha at Kumbh Mela, Prayagraj

कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान शिव की पावन स्तुति के साथ हुआ। भजनों की अनुपम श्रृंखला के साथ तांडव स्रोतम की धुनों ने वहां उपस्थित सभी जन समुदाय की आत्माओं को छू लिया। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथाव्यास साध्वी गरिमा भारती जी ने इस पावन शिव कथा में समाहित अनेक रहस्यों का उद्घाटन किया। "शिव" शब्द का अर्थ समझाते हुए उन्होंने बताया कि शिव वह शक्ति है जो समय, स्थान और कार्य से परे है।

भगवान शिव के पूजन दिवस को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। माह की सबसे अँधेरी यह रात सन्देश देती है हर एक मानव को उसके भीतर की सीमितताओं का अंत कर इस सृष्टि के मूल उस परमात्मा के दर्शन करने का। ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर इंसान ध्यान साधना के मार्ग पर चलते हुए पमात्मा के उस दिव्य प्रकाश की ओर अग्रसर होता है। ध्यान साधना से उत्सर्जित ऊर्जा से वो अपने भीतर की बुराइयों का नाश कर पाता है।

The Innermost Self Deciphered through Shiv Katha at Kumbh Mela, Prayagraj

शिव कथा प्रत्येक जनमानस को यही सन्देश देती है कि इस जीवन का परम लक्ष्य ही जीव की  आत्मा का परमात्मा से मिलन ही वास्तविक शिवरात्रि है, जो एक भक्त (माँ पार्वती) को अपने ध्येय (भगवान शिव) से मिलाती है। साध्वी जी ने समझाया कि वर्तमान समय में सतगुरु श्री आशुतोष महाराज जी भी उसी सनातन पुरातन ब्रह्मज्ञान को जन जन को प्रदान कर मानव को शवत्व से शिवत्व की ओर ले जाकर उसका कल्याण कर रहे है। हालांकि, एक सच्चे आध्यात्मिक गुरु के अभाव में ये यात्रा ना तो सही दिशा की ओर अग्रसर होगी और ना ही पूर्णता को प्राप्त करेगी। यही कारण है कि हमें अपने जीवन में एक पूर्ण  गुरु की तलाश करनी चाहिए जो हमें ब्रह्मज्ञान प्रदान कर आत्म उन्मुख कर सके। साध्वी जी ने उपस्थित जनसमुदाय को परमानन्द एवं शान्ति के स्त्रोत इस ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करने का दिव्य सन्देश दिया।

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