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“दुनिया में कोई भी व्यक्ति भ्रम में नहीं रहना चाहिए। गुरु के बिना कोई भी भवसागर पार नहीं कर सकता”

Disciples Bowed in Reverence this Guru Purnima at Divya Dham Ashram, Delhi

-गुरु नानक

गुरु पूर्णिमा महोत्सव- पूर्ण आध्यात्मिक सतगुरु को कृतज्ञता अर्पित करने का त्यौहार है, जो गुरु के सम्मान में मनाया जाता है। यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार अषाढ़ माह की पहली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। एक शिष्य के जीवन में यह सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। गुरु के प्रति प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन है। वर्ष भर इस पावन पर्व की प्रतीक्षा करने वालों को यह त्यौहार आनंद प्रदान करता है। 29 जुलाई, 2018 को दिव्य धाम आश्रम, नई दिल्ली में मनाए जाने वाले गुरु पूर्णिमा के उत्सव पर बड़ी तादात में भक्तों की उपस्थिति दर्ज़ की गई।

Disciples Bowed in Reverence this Guru Purnima at Divya Dham Ashram, Delhi

कार्यक्रम सतगुरु भगवान के श्री चरणों में अभिवादन के साथ शुरू हुआ जिसके बाद पावन ‘आरती’ का गायन भी किया गया। विभिन्न भक्तिपूर्ण, सुन्दर भजनों को श्री गुरुदेव का स्मरण करते हुए गाया गया, जिन्होंने उपस्थित भक्तों के हृदय को भक्तिपूर्ण भावों से भर दिया। संस्थान के अनेक प्रचारकों ने गुरु भक्ति के पथ पर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ाने वाले बहुत से प्रेरणादायक विचारों व भजनों को गुरु भक्तों के समक्ष प्रस्तुत किया।

यह दिवस सतगुरु और उनके शिष्यों के बीच स्थापित शाश्वत संबंध पर प्रकाश डालता है। हृदय की गहराइयों से एक शिष्य द्वारा अपने पूर्ण सतगुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का यह एक सुअवसर है। इसके माध्यम से शिष्य अपने आध्यात्मिक लक्ष्यों के प्रति और अधिक सतर्क हो पाता है।

‘गुरु’ शब्द दो शब्दों के मेल से उत्पन्न हुआ है- ‘गु’ का अर्थ है अंधकार और ‘रु’ अर्थात प्रकाश। तो, वह जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जा सकता है, यानि जो हमें दिव्य प्रकाश दिखा सकता है और अज्ञानता के अंधेरे को दूर कर सकता है वह ही असली गुरु या एक पूर्ण सतगुरु है। श्री आशुतोष महाराज जी की कृपा से लाखों ईश्वर जिज्ञासुओं ने ईश्वरीय अनुभूतियों का भीतर ही अनुभव कर स्वयं के आंतरिक साम्राज्य की यात्रा शुरू कर दी है। एक सच्चा आध्यात्मिक मार्गदर्शक और एक भरोसेमंद परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हुए, उन्होंने अपने शिष्यों को उनकी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान सदैव निर्देशित किया है। उनकी शिक्षाएं इस जीवन और उसके बाद भी पथप्रदर्शक प्रकाशरूप हैं। यह केवल गुरु हैं जो अज्ञानता की गहरी खाई से एक इंसान को बाहर निकाल सकते हैं, क्योंकि केवल उनके माध्यम से ही एक व्यक्ति ईश्वरीय ज्ञान की उपलब्धि के बाद अपने पूरे जीवन को उजागर कर पाता है।

दिव्य सत्संग विचारों के रूप में सतगुरु के अनमोल आशीर्वादों को पाकर सभी भक्त प्रसन्नता से भरे हुए नज़र आए।

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