एक शिष्य के जीवन में गुरु का स्थान सर्वोपरी होता है। शिष्य के जीवन में गुरु के महत्व, एवं शिष्य के प्रति गुरु के प्रेम की तुलना संसार की किसी भी वस्तु से नहीं की जा सकती। वहीं एक शिष्य सदैव अपने गुरु के प्रेम एवं अनुग्रह का ही अनुरागी होता है। गुरु पूर्णिमा एक ऐसा ही शुभ पर्व है जो कि एक शिष्य को अपने गुरु के प्रति प्रेम एवं भावों को प्रकट करने का शुभ अवसर प्रदान करता है। गुरु पूर्णिमा का यह पावन पर्व इस वर्ष 16 जुलाई 2019 को मनाया गया। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा संस्थापित एवं संचालित, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की देश - विदेश की प्रत्येक शाखा (डूंगरपुर (राजस्थान), देहरादून (उत्तराखंड), पथार्दी (महाराष्ट्र), आगरा (उत्तर प्रदेश), पिथोरागढ़ (उत्तराखंड), सागवाड़ा (राजस्थान), विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) इतियादी ) में इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
विश्व के कोने कोने से शिष्य इस पावन पर्व को मनाने के लिए सम्मिलित हुए। इस पावन दिन का शुभारम्भ, गुरु वंदना के साथ हुआ। सर्वप्रथम, गुरुदेव के श्री चरणों को प्रक्षालित कर प्रेम एवं भावों से सराबोर पुष्प समर्पित किये गए। तदोपरांत गुरुदेव की महाआरती की गई। प्रत्येक शिष्य ने गुरुदेव के समक्ष विश्वास एवं श्रद्धा रुपी सुमन अर्पित किये। गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी ना केवल एक ब्रह्मनिष्ठ गुरु है अपितु वह आध्यात्मिकता के शिखर पर प्रदीप्तमान सूर्य है। गुरुदेव ने अपने प्रत्येक शिष्य को एक समान क्षमताएँ प्रदान की हैं। गुरु का प्रत्येक कर्म शिष्यों के आध्यत्मिक उत्थान हेतु ही होता है। गुरु के इन्हीं अगण्य प्रयास एवं करुणा को समर्पित गुरु पूर्णिमा का यह पावन पर्व मनाया जाता है।
महाआरती के उपरांत, सुमधुर भावों से ओतप्रोत भजनों की अनुपम श्रृंखला एवं आध्यात्मिक विचारों का आयोजन किया गया। सत्संग विचारों में शिष्यों को आध्यात्मिकता के मार्ग पर निर्बाध गति से चलने के लिए प्रेरित किया गया। गुरुदेव के दिखाए दिव्य मार्ग पर निरंतर चलने हेतु ध्यान साधना रुपी खड़ग को साथ रखना होगा जिससे इस मार्ग में आने वाली बाधाओं का अंत कर एक साधक शीघ्र ही आध्यात्म के शिखर को छू पाएगा। इस पावन पर्व पर संस्थान की सभी शाखाओं पर ध्यान शिविर का आयोजन किया गया एवं अंत में प्रसाद वितरित किया गया।