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लोहड़ी, भारत का एक पारंपरिक त्यौहार है , जो उत्तरी भारत का “सूर्य” कहलाता है । लोक संगीत, नृत्य, मिष्ठान और उमंग भरा यह त्यौहार समाज को भी खुशियों और उजाले से भर देता है ।

Santulan commemorated National Girl Child Day and Girl Child Lohri under its annual Kanya Bachao Campaign

हालांकि, समय के साथ इस त्यौहार ने अपना मूल अर्थ  खो कर केवल समाज के लिए एक अन्य रूप को धारण कर लिया है। आज भी, देश के कई इलाकों में लोहड़ी का त्यौहार केवल एक बेटे के जन्म पर मनाया जाता है और यदि किसी परिवार में बेटी का जन्म हो तो यह माना जाता है की उत्साह ओर उमंग का यह त्यौहार उस परिवार के लिए अन्धकार ले कर आया है। समाज की इसी रुढ़िवादी सोच को बदलने के लिए और नन्ही कन्याओं के जन्म को बढ़ावा देने के लिए, संतुलन ने “कन्या बचाओ” आन्दोलन को देश भर में चलाया। संतुलन का यह आन्दोलन हर साल की तरह इस साल भी, 13 जनवरी यानी लोहड़ी के अवसर से शुरू हो कर 24 जनवरी यानी राष्ट्रीय कन्या दिवस तक देश भर मे मनाया गया।

संतुलन द्वारा प्रतिवर्ष उत्तरी भारत के कई राज्यों मे इस अभियान द्वारा उत्साह और उमंग से समाज में बेटियों को बचाने का सन्देश पहुँचाया जाता है । इस वर्ष भी अनेकों स्कूलों, कॉलेजों तथा कार्यालयों में संतुलन ने इस अभियान को चलाया. वर्कशॉप के माध्यम से संतुलन सबसे पहले कन्या बचाओ पर अपनी विचारधारा और उसके बाद उसी विचारधारा को नुक्कड़ नाटक के रूप मे समाज के सामने रखता है । इसी प्रकार की अनेको क्रियाओं और विचारों द्वारा संतुलन समाज के हर्र वर्ग तक कन्याओं और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैला रहा है ।

Santulan commemorated National Girl Child Day and Girl Child Lohri under its annual Kanya Bachao Campaign

नाट्य मंचन द्वारा कन्या भ्रूण हत्या को समाज की सबसे बड़ी कुरीति के रूप मे दर्शाया गया और श्री आशुतोष महाराज जी की साध्वी शिष्याओं ने “इट्स अ गर्ल” विषय पर लोगों के समक्ष विचारों को रखा । अपने विचारों द्वारा साध्वी बहनों ने समाज को कन्या भ्रूण हत्या के परिणाम, आंकड़ों और सत्य घटनाओं की मदद से संवेदीकरण किया । अंततः लोहड़ी की पावन अग्नि को जला कर, वर्कशॉप में आये सभी लोगों ने यह प्रण लिया कि कन्या भ्रूण हत्या के नाम पर छुप कर हो रही, बेटियों के प्रति यह सबसे बड़ी हिंसा है जिसको समाज से उखाड़ कर फेकने में सभी अपना योगदान देंगे, और इसी सोच को समाज के हर्र एक वर्ग तक पहुँचाएँगे ।

समाज के इन्ही जागरूक जनों मे से कुछ को चुन कर संतुलन द्वारा हर्र साल “गर्ल चाइल्ड फोरम” की स्थापना की जाती है, जो अभियान की समाप्ति के पश्चात भी साल भर अपने इलाके के लोगों के बीच कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं के प्रति हिंसा के विरुद्ध संवेदीकरण कायम रखते है ।

संतुलन की इस मुहिम का प्रमुख लक्ष्य समाज मे फैले इस अन्धकार के विरुद्ध समाज को एकजुट करना एवं एक अभियान चलाना है जिसमे समाज मे से ही लोग आगे आ कर समस्त वर्गों मे संवेदना और कन्याओं के प्रति ऐसी भावना उत्तपन करें ।

अपने अभियान “तू है शक्ति” के अंतर्गत, संतुलन अनेक कैम्पेन के माध्यम से इसी उम्मीद के साथ कार्यरत्त है कि  अंततः देश भर मे बेटियों को वो स्थान मिलेगा जिसकी वो अधिकारी हैं । लोहड़ी के इस पर्व ने उत्तरी भारत के कई स्थानों पर “धियाँ दी लोहड़ी” अर्थात बेटियों की लोहड़ी का रूप ले लिया है, जिसका उद्धेश्य बेटियों को सामाजिक और आत्मिक उत्थान की ओर ले जाना है ।

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